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रेबीज: लक्षण, इंजेक्शन डोज, वैक्सीन, इलाज की पूरी जानकारी

रेबीज क्या है

रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से होती है. यह वायरस मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और समय पर इलाज नहीं मिलने पर मौत का कारण बन सकता है. रेबीज के लक्षणों में बुखार, पानी का डर, मांसपेशियों में ऐंठन और मानसिक असंतुलन शामिल हैं. संक्रमित होने पर तुरंत वैक्सीन और इंजेक्शन कोर्स शुरू करना जरूरी है. इसके लिए पांच डोज का एक निश्चित टीकाकरण शेड्यूल होता है. इस लेख में हम रेबीज के लक्षण, वैक्सीन, इलाज, सावधानियों और इंजेक्शन की कीमत की पूरी जानकारी देंगे.

Table of Contents

रेबीज क्या है?

  • रेबीज वायरस जानवरों के काटने या खरोंचने से इंसानों में फैलता है. खासतौर पर यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है.
  • रेबीज की बीमारी संक्रमित जानवरों के सलाइवा के संपर्क में आने से होती है. कुत्ते, बिल्लियां, बंदर और चमगादड़ प्रमुख वाहक होते हैं.

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रेबीज के लक्षण

शुरुआती लक्षण

  1. बुखार और सिरदर्द: संक्रमण के कुछ दिनों बाद हल्का बुखार महसूस हो सकता है. इसके साथ ही सिरदर्द और सामान्य कमजोरी भी हो सकती है.
  2. घाव के आसपास दर्द: काटने या खरोंचने के स्थान पर जलन, दर्द या खुजली हो सकती है. यह लक्षण अक्सर संक्रमण के पहले संकेतों में से एक होता है.
  3. थकान और बेचैनी: संक्रमित व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है. साथ ही बेचैनी और चिड़चिड़ापन भी होने लगता है.
  4. मांसपेशियों में ऐंठन: कभी-कभी संक्रमित क्षेत्र के आसपास मांसपेशियों में हल्की ऐंठन हो सकती है. यह समस्या समय के साथ बढ़ सकती है.

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उन्नत लक्षण

  1. पानी का डर (Hydrophobia): संक्रमित व्यक्ति को पानी पीने या पानी के पास जाने में डर महसूस हो सकता है. यह मांसपेशियों के ऐंठन और गले में दर्द के कारण होता है.
  2. मानसिक भ्रम: व्यक्ति को अचानक से भ्रम और असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही, असामान्य व्यवहार और आक्रामकता भी देखी जा सकती है.
  3. मांसपेशियों में ऐंठन और लकवा: मांसपेशियों में अनियंत्रित ऐंठन शुरू हो जाती है. समय के साथ, यह समस्या लकवे (पैरालिसिस) तक बढ़ सकती है.

रेबीज के गंभीर लक्षण

  1. जलन में कठिनाई: गंभीर अवस्था में व्यक्ति को पानी पीने में कठिनाई होने लगती है, जिससे जलन का भय होता है.
  2. न्यूरोलॉजिकल प्रभाव: यह स्थिति व्यक्ति में लकवा, उत्तेजना और कॉमाटोज स्थिति गंभीर रूप से उत्पन्न कर सकती है.
  3. कोमा और मौत: उपचार न मिलने पर व्यक्ति कोमा में जा सकता है. अंततः यह स्थिति जानलेवा साबित होती है.

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रेबीज का टीकाकरण (Vaccination) और इंजेक्शन डोज

रेबीज वैक्सीन कब लगवानी चाहिए?

  1. संक्रमण के बाद: यदि कोई व्यक्ति रेबीज से संक्रमित जानवर द्वारा काटा गया है, तो तुरंत टीका लगवाना आवश्यक है. यह उपचार संक्रमण के लक्षणों को विकसित होने से रोक सकता है.
  2. सुरक्षित समूह: पशु चिकित्सा, अनुसंधान और वन्यजीवों से संपर्क में आने वाले लोगों को नियमित रूप से टीका लगवाना चाहिए. इससे उन्हें उच्च जोखिम वाले कार्यों के दौरान सुरक्षा मिलती है.
  3. यात्रा से पहले: ऐसे लोग जो रेबीज प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने वाले हैं, उन्हें यात्रा से पहले टीका लगवाना चाहिए. इससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है, खासकर जब वे स्थानों पर जहां कुत्ते या अन्य जानवरों का खतरा हो.
  4. विशेष चिकित्सा स्थितियां: कुछ चिकित्सा स्थितियों वाले व्यक्तियों को रेबीज वैक्सीन की आवश्यकता हो सकती है. इस स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है.
  5. इंजेक्शन की डोज: रेबीज के लिए आमतौर पर चार से पांच डोज़ दी जाती हैं, जिनमें पहला टीका संक्रमण के बाद तुरंत लगाया जाना चाहिए. अन्य डोज़ को निर्धारित समय पर लगाया जाता है, आमतौर पर 3, 7, 14 और 28वें दिन.

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रेबीज वैक्सीन की डोज

  1. प्रारंभिक डोज: रेबीज वैक्सीन की पहली डोज आमतौर पर संक्रमण के तुरंत बाद दी जाती है. यह शुरुआती उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो संक्रमण के लक्षणों को विकसित होने से रोकता है.
  2. अनुसूचित डोज: पहली डोज के बाद, दूसरी डोज 3 दिन, तीसरी 7 दिन, चौथी 14 दिन, और अंतिम डोज 28 दिन पर दी जाती है. यह प्रक्रिया शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण के लिए आवश्यक है.
  3. आपातकालीन स्थिति: यदि व्यक्ति को खतरनाक जानवर द्वारा काटा गया है, तो एक विशेष प्रोफाइलैक्सिस भी दी जा सकती है, जिसमें एंटी-रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन के साथ टीका शामिल होता है. यह आपातकालीन स्थिति में संक्रमण को रोकने के लिए सहायक होता है.
  4. मध्यम जोखिम के लिए: कुछ व्यक्तियों को मध्यम जोखिम वाले स्थितियों में टीका लगवाने की सलाह दी जाती है, जैसे कि वन्यजीवों के संपर्क में आने वाले. ऐसे व्यक्तियों को पहले 3 डोज लगाने की सिफारिश की जाती है.
  5. रिवीजन डोज: यदि किसी व्यक्ति को पहले से टीका लगाया गया है और वह फिर से उच्च जोखिम में आता है, तो रिवीजन डोज दी जा सकती है. यह डोज सामान्यतः 1-2 डोज में होती है, स्थिति के अनुसार.

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वैक्सीन इंजेक्शन की डोज शेड्यूल

  1. पहली डोज: रेबीज के संभावित संपर्क के तुरंत बाद पहली डोज दी जाती है. यह टीका संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों को रोकने में सहायक होता है.
  2. दूसरी डोज: पहली डोज के 3 दिन बाद दूसरी डोज लगाई जाती है. यह शरीर में एंटीबॉडी बनाने की प्रक्रिया को तेज करती है.
  3. तीसरी डोज: तीसरी डोज 7 दिन पर दी जाती है. यह वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाती है और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए और तैयार करती है.
  4. चौथी डोज: चौथी डोज 14 दिन के बाद लगाई जाती है. यह शेड्यूल टीके के कार्य को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए आवश्यक है.
  5. पांचवीं डोज: अंतिम डोज 28 दिन पर दी जाती है. यह शरीर में दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है और एंटीबॉडी के स्तर को स्थिर रखती है.

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इंजेक्शन की कीमत और सरकारी व निजी अस्पतालों में उपलब्धता

  1. सरकारी अस्पतालों में कीमत: सरकारी अस्पतालों में रेबीज वैक्सीन की कीमत सामान्यतः बहुत कम होती है, अक्सर ₹100 से ₹500 के बीच होती है. यह सुविधा सामान्य जनता के लिए सस्ती होती है.
  2. निजी अस्पतालों में कीमत: निजी अस्पतालों में रेबीज वैक्सीन की कीमत अधिक होती है, जो ₹1,000 से ₹3,000 या उससे अधिक भी हो सकती है. यह अस्पताल की सुविधाओं और स्थान के अनुसार भिन्न होती है.
  3. उपलब्धता: सरकारी अस्पतालों में रेबीज वैक्सीन अक्सर उपलब्ध रहती है, लेकिन कभी-कभी भंडारण की समस्या हो सकती है. मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे पहले से जानकारी ले लें.
  4. निजी अस्पतालों में उपलब्धता: निजी अस्पतालों में रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता आमतौर पर अधिक होती है और अधिकांश अस्पताल इसे स्टॉक में रखते हैं. मरीजों को बिना किसी परेशानी के टीका लगवाने की सुविधा मिलती है.
  5. फार्मेसियों में खरीदारी: कुछ स्थानों पर रेबीज वैक्सीन फार्मेसियों में भी उपलब्ध होती है, लेकिन इसे चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वैक्सीन का संग्रहण सही तरीके से किया गया हो.

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इन जानवरों से होता है रेबीज

  • कुत्ते
  • बिल्लियां
  • बंदर
  • अन्य जानवर

कुत्ते से ऐसे होता है रेबीज

  1. संक्रमित कुत्ते के काटने से: रेबीज वायरस मुख्य रूप से संक्रमित कुत्ते के काटने से फैलता है. जब कुत्ता संक्रमित होता है, तो उसके लार में वायरस होता है, जो काटने के दौरान मानव में प्रवेश कर सकता है.
  2. लार के संपर्क में आने से: कुत्ते की लार के सीधे संपर्क में आने से भी रेबीज हो सकता है, जैसे कि खुली चोट या घाव पर लार गिरने पर. यह संक्रमण त्वचा के माध्यम से या आंखों, मुंह, या नाक में प्रवेश कर सकता है.

बिल्लियाें से ऐसे हाेता है रेबीज

  1. संक्रमित बिल्ली के काटने से: रेबीज वायरस संक्रमित बिल्ली के काटने से फैलता है. जब बिल्ली संक्रमित होती है, तो उसके लार में वायरस होता है, जो काटने के दौरान मानव में प्रवेश कर सकता है.
  2. लार के संपर्क में आने से: बिल्लियों की लार के सीधे संपर्क में आने से भी रेबीज हो सकता है, जैसे कि खुले घाव या चोट पर लार गिरने पर. यह वायरस त्वचा के माध्यम से या आंखों, मुंह, या नाक में प्रवेश कर सकता है.
  3. संक्रमित बिल्ली के खरोचने से: रेबीज वायरस से संक्रमित बिल्ली द्वारा नाखुन से खरोचने से भी रेबीज का संक्रमण हो सकता है. इसीलिए जब ब्लड आ जाए तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए.

बंदर से ऐसे होता है रेबीज

  1. संक्रमित बंदर के काटने से: रेबीज वायरस संक्रमित बंदर के काटने से फैलता है. जब बंदर संक्रमित होता है, तो उसके लार में वायरस होता है, जो काटने के दौरान मानव में प्रवेश कर सकता है.
  2. लार के संपर्क में आने से: बंदर की लार के सीधे संपर्क में आने से भी रेबीज हो सकता है, जैसे कि खुली चोट पर लार गिरने पर. यह वायरस त्वचा के माध्यम से या आंखों, मुंह, या नाक में प्रवेश कर सकता है.

इन जानवरों से भी रेबीज का खतरा

  1. गिलहरी: गिलहरियों में रेबीज का खतरा तब बढ़ता है जब वे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आती हैं. इनका काटना या लार के संपर्क में आना भी संक्रमण फैला सकता है.
  2. फॉक्स: फॉक्स आमतौर पर रेबीज के लिए उच्च जोखिम में होते हैं और संक्रमित होने पर अन्य जानवरों और इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं. इनका काटना या लार के संपर्क में आना खतरनाक हो सकता है.
  3. चूहा: चूहों में रेबीज का वायरस हो सकता है, खासकर जब वे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं. उनके काटने या लार के संपर्क में आने से मानव में संक्रमण फैल सकता है.
  4. खरगोश: खरगोश भी रेबीज से संक्रमित हो सकते हैं, हालाँकि यह अधिक सामान्य नहीं है. यदि वे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं, तो उनका काटना मानव में संक्रमण का कारण बन सकता है.
  5. बेट: बेट्स (चमगादड़) रेबीज के लिए प्रमुख वाहक माने जाते हैं. इनके काटने या उनके लार के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मानव में गंभीर लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं.

रेबीज से बचने के लिए सावधानियां

  • जानवरों से दूरी बनाकर रखें
  • पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण
  • जानवरों के संपर्क के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  • घरेलू उपायों पर भरोसा न करें

जानवरों से दूरी बनाकर रखें

रेबीज से बचाव के लिए अज्ञात या जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखना बेहद जरूरी है. खासकर आवारा कुत्ते, बिल्लियों, बंदरों और चमगादड़ों से संपर्क में आने से बचें, क्योंकि ये रेबीज के संभावित वाहक हो सकते हैं. कभी भी किसी घायल या बीमार जानवर को छूने की कोशिश न करें. जंगली जानवरों को खाना या पानी देने से भी बचें, क्योंकि यह उनके आक्रामक व्यवहार को उत्तेजित कर सकता है.

पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण

पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण रेबीज से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है. कुत्ते, बिल्लियों और अन्य पालतू जानवरों को रेबीज वैक्सीन समय पर लगवाना जरूरी है, ताकि वे संक्रमण से सुरक्षित रहें. इससे न केवल आपके पालतू जानवरों की सुरक्षा होती है, बल्कि आपके परिवार और आसपास के लोगों का भी बचाव होता है. टीकाकरण से जानवरों में वायरस फैलने की आशंका कम होती है, जिससे रेबीज का खतरा काफी घट जाता है. नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क कर टीकाकरण का शेड्यूल सुनिश्चित करें और इसे समय पर पूरा करें.

तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

यदि किसी जानवर द्वारा काट लिया जाए या उसकी लार के संपर्क में आ जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है. रेबीज का वायरस तेजी से फैलता है और शुरुआती उपचार से संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है. प्रभावित स्थान को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं और डॉक्टर से रेबीज वैक्सीन की आवश्यकता के बारे में सलाह लें. देरी करने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता प्राप्त करना अनिवार्य है. समय पर उपचार जीवनरक्षक साबित हो सकता है.

घरेलू उपायों पर भरोसा न करें

रेबीज जैसे गंभीर संक्रमण के लिए घरेलू उपायों पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है. जानवर के काटने या लार के संपर्क में आने के बाद केवल घरेलू उपचारों से वायरस को रोक पाना संभव नहीं है. इस स्थिति में डॉक्टर से तुरंत सलाह लेना और टीकाकरण कराना ही एकमात्र प्रभावी उपाय है. घरेलू नुस्खों से संक्रमण को नियंत्रित नहीं किया जा सकता, जिससे बीमारी और गंभीर हो सकती है. इसलिए, रेबीज के मामलों में वैज्ञानिक और चिकित्सीय उपचार को प्राथमिकता दें.

रेबीज होने पर तत्काल क्या करें?

  • तुरंत घाव की सफाई
  • चिकित्सा सहायता लें
  • इंजेक्शन कोर्स शुरू कराएं

तुरंत घाव की सफाई

जानवर के काटने या खरोंच के बाद तुरंत घाव की सफाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. घाव को साफ पानी और साबुन से कम से कम 10-15 मिनट तक धोएं, ताकि वायरस का असर कम किया जा सके. साबुन से घाव की सफाई वायरस के प्रवेश को रोकने में मदद करती है और संक्रमण का खतरा घटाती है.

चिकित्सा सहायता लें

जानवर के काटने या खरोंच के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अत्यावश्यक है. रेबीज का वायरस तेजी से फैल सकता है, और प्रारंभिक उपचार के बिना यह घातक हो सकता है. डॉक्टर से संपर्क करें, चाहे घाव मामूली ही क्यों न हो. बिना चिकित्सा सहायता के घरेलू उपायों पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए तुरंत पेशेवर चिकित्सा सलाह और इलाज आवश्यक है. समय पर उपचार से संक्रमण को रोका जा सकता है और जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.

इंजेक्शन कोर्स शुरू कराएं

जानवर के काटने या लार के संपर्क में आने के बाद रेबीज संक्रमण से बचने के लिए तुरंत इंजेक्शन कोर्स शुरू कराना आवश्यक है. रेबीज वैक्सीन का कोर्स संक्रमण को फैलने से रोकता है और वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है. इस कोर्स में डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय पर वैक्सीन की कई डोज लगाई जाती हैं, जिन्हें पूरा करना अनिवार्य है. कोर्स अधूरा छोड़ने से संक्रमण का खतरा बना रह सकता है, इसलिए सभी डोज समय पर लगवाएं और चिकित्सक की सलाह का पालन करें.

रेबीज इंजेक्शन लगवाने का तरीका और कोर्स

इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया

रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन चिकित्सा पेशेवर द्वारा मांसपेशियों में लगाया जाता है, आमतौर पर कंधे के ऊपरी हिस्से में. पहले इंजेक्शन के बाद डॉक्टर द्वारा निर्धारित शेड्यूल के अनुसार अन्य डोज समय पर लगवाई जाती हैं.

इंजेक्शन की प्रक्रिया दर्दरहित होती है और यह सुनिश्चित करती है कि शरीर में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो. सभी डोज निर्धारित समय पर लेना अनिवार्य है, ताकि उपचार प्रभावी हो सके. इंजेक्शन की प्रक्रिया को पूरी तरह से पूरा करने से रेबीज संक्रमण का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाता है.

कोर्स की अवधि

रेबीज वैक्सीन का कोर्स आमतौर पर चार से पांच इंजेक्शन की एक श्रृंखला होती है, जो 14 से 28 दिनों के भीतर पूरा किया जाता है. पहले इंजेक्शन के बाद बाकी डोज डॉक्टर द्वारा दिए गए शेड्यूल के अनुसार 3, 7, 1, और 28 दिन पर लगाई जाती हैं.

यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी डोज समय पर पूरी की जाएं ताकि वायरस के खिलाफ शरीर में पूरी तरह से प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके. कोर्स अधूरा छोड़ने से संक्रमण का खतरा बना रह सकता है, इसलिए पूरी अवधि के दौरान टीकाकरण कराना आवश्यक है.

टीकाकरण के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  1. समय पर इंजेक्शन लें: रेबीज वैक्सीन का कोर्स समय पर पूरा करना जरूरी है. डॉक्टर द्वारा निर्धारित दिन पर ही सभी डोज़ लगवाएं, क्योंकि देर से लगवाने पर वैक्सीन का असर कम हो सकता है.
  2. घाव की सफाई जारी रखें: टीकाकरण के बावजूद घाव की साफ-सफाई को नजरअंदाज न करें. घाव को रोजाना साबुन और पानी से धोएं और एंटीसेप्टिक लगाते रहें.
  3. संपूर्ण कोर्स पूरा करें: कोर्स अधूरा न छोड़ें. सभी इंजेक्शन लेना जरूरी है ताकि शरीर में वायरस के खिलाफ पूरी प्रतिरक्षा विकसित हो सके.
  4. किसी अन्य बीमारी की जानकारी दें: यदि आपको पहले से कोई बीमारी है या किसी और टीकाकरण से गुजर रहे हैं, तो डॉक्टर को इसकी जानकारी जरूर दें.
  5. दुष्प्रभावों पर ध्यान दें: टीकाकरण के बाद किसी भी प्रकार की एलर्जी, सूजन, या असामान्य प्रतिक्रिया हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

निष्कर्ष

रेबीज एक जानलेवा लेकिन पूर्ण रूप से रोकथाम योग्य बीमारी है. यदि इसका इलाज सही समय पर और सही तरीके से किया जाए तो रोगी की जान बचाई जा सकती है. रेबीज वैक्सीन और इंजेक्शन कोर्स का सही से पालन करके और जानवरों के संपर्क से सावधान रहते हुए इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है. जानवर के काटने पर घबराएं नहीं, बल्कि तत्काल चिकित्सा सहायता लें और रेबीज वैक्सीन के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.

FAQ

रेबीज के लक्षण क्या हैं?

बुखार, सिरदर्द, कमजोरी.

रेबीज का इलाज कैसे किया जाता है?

टीकाकरण और इम्युनोग्लोबुलिन.

टीकाकरण की प्रक्रिया क्या है?

पहले दिन और फिर तीन, सात, और 14वें दिन.

टीका लगवाने का सही समय कब है?

पशु के काटने के तुरंत बाद.

क्या रेबीज का इलाज संभव है?

नहीं, लक्षण दिखने के बाद इलाज संभव नहीं है.

क्या रेबीज का टीका सुरक्षित है?

हां, यह आमतौर पर सुरक्षित होता है.

रेबीज से कितने लोगों की मौत होती है?

लगभग 100% संक्रमण के बाद.

एंटी रेबीज के कितने डोज लेने होते हैं?

बिना वैक्सीन के 4, पहले से वैक्सीनेटेड के लिए 2.

क्या रेबीज का टीका अन्य टीकों के साथ लिया जा सकता है?

हां, एक ही समय पर लिया जा सकता है.

क्या कुत्ता काटने पर घरेलू उपचार प्रभावी हैं?

नहीं, चिकित्सा सहायता आवश्यक है.

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