भारत एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है, जिसकी सीमाएं कई देशों से जुड़ी हुई हैं. अपने पड़ोसियों के साथ भारत के संबंध न केवल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक हैं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं. इन पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध समय-समय पर बदलते रहे हैं, और उनके प्रभाव भारतीय विदेश नीति पर गहरा असर डालते हैं. इस ब्लॉग में हम भारत के पड़ोसी देश चाहे वे सीमा से लगे हों या फिर समुद्री सीमा से, उनके भूगोल, इतिहास और आपसी संबंधों की पूरी जानकारी देंगे, जिससे इन राष्ट्रों के साथ भारत के सामरिक रिश्तों को समझने में मदद मिलेगी. 2024 में क्या बदलाव आया ये भी बताएंगे.
भारत का पड़ोसी देशों से संबंध: भौगोलिक व ऐतिहासिक रिश्ता
भारत का अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध भू-राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से मायने रखता हैं. इनमें से कुछ देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध हजारों साल पुराने हैं, जबकि कुछ रिश्ते आधुनिक काल की राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित हैं. भारत के पड़ोसी देशों के साथ इसके संबंधों का विश्लेषण करना जरूरी है, क्योंकि ये संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में अहम भूमिका निभाते हैं.
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भारत के पड़ोसी देशों की सूची
सीमावर्ती देश (जिनकी भौगोलिक सीमा भारत से मिलती है):
- पाकिस्तान
- चीन
- नेपाल
- भूटान
- बांग्लादेश
- म्यांमार
- अफगानिस्तान (PoK के माध्यम से)
समुद्री पड़ोसी देश (जिनकी समुद्री सीमाएं भारत से मिलती हैं):
- श्रीलंका
- मालदीव
- इंडोनेशिया (दूरस्थ समुद्री सीमा)
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भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान
पाकिस्तान का इतिहास:
- स्वतंत्रता और निर्माण (1947): 14 अगस्त 1947 को ब्रिटिश भारत से अलग होकर पाकिस्तान अस्तित्व में आया. यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र के लिए एक नया राष्ट्र बना.
- विभाजन और हिंसा (1947): विभाजन के समय लाखों लोग भारत और पाकिस्तान के बीच विस्थापित हुए. इस दौरान भीषण सांप्रदायिक हिंसा हुई.
- पहला भारत-पाक युद्ध (1947-48): कश्मीर विवाद के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ. युद्धविराम के बाद कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रहा.
- राष्ट्रपति शासन और सैन्य शासन (1958): 1958 में पाकिस्तान में पहला सैन्य शासन लागू हुआ. जनरल अयूब खान ने सत्ता संभाली और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित किया.
- दूसरा भारत-पाक युद्ध (1965): कश्मीर मुद्दे को लेकर 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध हुआ. यह युद्ध सीमित समय के लिए चला, और अंततः संयुक्त राष्ट्र द्वारा युद्धविराम घोषित किया गया.
- पूर्वी पाकिस्तान संकट और बांग्लादेश का निर्माण (1971): पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह के कारण भारत ने हस्तक्षेप किया. इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ और पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा.
- जिया-उल-हक का सैन्य शासन (1977-1988): जनरल जिया-उल-हक ने 1977 में सत्ता संभाली. उनके कार्यकाल में इस्लामीकरण की प्रक्रिया तेज हुई.
- परमाणु परीक्षण (1998): पाकिस्तान ने 1998 में अपने पहले परमाणु परीक्षण किए. यह भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के जवाब में किया गया था.
- कारगिल युद्ध (1999): कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच एक और युद्ध हुआ. भारत ने घुसपैठियों को पीछे धकेला, और युद्ध विराम लागू हुआ.
- आतंकवाद और भारत से संबंध (2000 के बाद): पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप लगे. इससे भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ा.
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पाकिस्तान का भूगोल:
- स्थान और सीमाएं: पाकिस्तान दक्षिण एशिया में स्थित है और इसके पूर्व में भारत, पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान और उत्तर में चीन हैं. दक्षिण में इसकी सीमा अरब सागर से मिलती है.
- क्षेत्रफल: पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल लगभग 881,913 वर्ग किलोमीटर है. यह दुनिया का 33वां सबसे बड़ा देश है.
- पठार और पर्वत: पाकिस्तान के उत्तर में काराकोरम और हिंदुकुश पर्वत श्रेणियां हैं, जहां दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी K2 स्थित है. इसके अलावा, बलूचिस्तान में बलूचिस्तान पठार फैला हुआ है.
- नदियां: पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण नदी सिंधु है, जो उत्तरी पाकिस्तान से बहकर अरब सागर में गिरती है. सिंधु नदी के कारण पाकिस्तान की कृषि और सिंचाई प्रणाली समृद्ध है.
- जलवायु: पाकिस्तान की जलवायु विविध है, जिसमें उत्तरी क्षेत्रों में ठंडी जलवायु और दक्षिणी क्षेत्रों में गर्म और शुष्क मौसम पाया जाता है. तटीय क्षेत्रों में समुद्री प्रभाव के कारण मौसम अधिक सहनशील रहता है.
- रेगिस्तान: पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में थार रेगिस्तान स्थित है, जो भारत से भी जुड़ा हुआ है. यह रेगिस्तान दोनों देशों के बीच एक प्राकृतिक सीमा भी बनाता है.
- सिंधु-गंगा मैदान: सिंधु-गंगा मैदान पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में फैला है और यहां की सबसे उपजाऊ भूमि मानी जाती है. यह मैदान भारत के उत्तरी क्षेत्र से सटा हुआ है.
- वन्य जीवन: पाकिस्तान में हिमालयी भालू, तेंदुए और हिम तेंदुआ जैसे दुर्लभ जानवर पाए जाते हैं. इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में डॉल्फिन और समुद्री कछुए भी मिलते हैं.
- तटीय क्षेत्र: पाकिस्तान का तटीय क्षेत्र अरब सागर से सटा हुआ है, जिसकी कुल लंबाई 1,046 किलोमीटर है. यहां कराची और ग्वादर जैसे प्रमुख बंदरगाह स्थित हैं.
- प्राकृतिक आपदाएं: पाकिस्तान भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है. उत्तरी क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियां और दक्षिण में सिंधु नदी की बाढ़ आम हैं.
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भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी संबंध:
- विभाजन और स्वतंत्रता (1947): 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान स्वतंत्र देश बने. विभाजन के समय दोनों देशों के बीच सांप्रदायिक तनाव और लाखों लोगों का विस्थापन हुआ.
- कश्मीर विवाद: कश्मीर मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद रहा है. इसे लेकर दोनों देशों के बीच 1947, 1965 और 1999 में युद्ध हो चुके हैं.
- पहला भारत-पाक युद्ध (1947-48): विभाजन के बाद कश्मीर पर नियंत्रण के लिए पहला युद्ध लड़ा गया. संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद युद्धविराम हुआ और कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रहा.
- सांस्कृतिक और जनसांख्यिकी संबंध: विभाजन से पहले भारत और पाकिस्तान एक ही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धारा से जुड़े थे. दोनों देशों में भाषा, खान-पान और परंपराओं में समानता है, जो आज भी दिखती है.
- 1971 का युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण: पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के स्वतंत्रता संघर्ष में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान का विभाजन हुआ और बांग्लादेश का निर्माण हुआ.
- कारगिल युद्ध (1999): कारगिल में पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच संघर्ष हुआ. भारतीय सेना ने घुसपैठियों को वापस धकेल दिया, और युद्धविराम हुआ.
- व्यापारिक संबंध: दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध सीमित हैं और अक्सर राजनीतिक तनाव के कारण बाधित होते रहते हैं. हालाँकि, व्यापारिक संभावनाएँ व्यापक हैं, लेकिन अब तक पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई हैं.
- आतंकवाद और सीमा पार हिंसा: भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप लगाए हैं, विशेष रूप से 2001 के संसद हमले और 2008 के मुंबई हमलों के बाद. इससे दोनों देशों के संबंधों में और तनाव बढ़ा है.
- शांतिवार्ता और समझौते: समय-समय पर दोनों देशों के बीच शांतिवार्ता और समझौते हुए हैं, जैसे 1972 का शिमला समझौता. हालाँकि, ये वार्ताएँ अक्सर सीमा विवाद और आतंकवाद के कारण टूट जाती हैं.
- 2024 में संबंध: वर्तमान में, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद सीमित है और व्यापार तथा आवागमन लगभग रुका हुआ है.
भारत का पड़ोसी देश चीन
चीन का इतिहास:
- प्राचीन सभ्यता: चीन की सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जिसकी शुरुआत लगभग 4,000 साल पहले हुई थी. ह्वांग हो (पीली नदी) के किनारे यह सभ्यता विकसित हुई थी.
- शाही राजवंश (221 ईसा पूर्व): चीन का पहला एकीकृत साम्राज्य क़िन राजवंश के दौरान स्थापित हुआ. क़िन शि हुआंग ने चीन की दीवार का निर्माण शुरू कराया और चीन की सांस्कृतिक और राजनैतिक नींव रखी.
- सिल्क रोड और व्यापार (2nd सदी ईसा पूर्व): चीन ने सिल्क रोड के माध्यम से एशिया, यूरोप और भारत के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए. इस मार्ग से चीन की रेशम, चाय और मसाले भारत समेत अन्य देशों में पहुंचे.
- भारत-चीन संबंध: बौद्ध धर्म का प्रसार (1st सदी ईस्वी): बौद्ध धर्म चीन में भारत से पहुंचा और यहां पर व्यापक रूप से फैल गया. भारतीय बौद्ध भिक्षुओं और चीनी विद्वानों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान से दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए.
- मध्यकालीन चीन: तांग और सांग राजवंश (7वीं से 13वीं सदी): तांग और सांग राजवंशों के दौरान चीन ने विज्ञान, कला और व्यापार में उन्नति की. इस समय चीन का प्रभाव पूर्वी एशिया में सबसे ज्यादा था, और इसे ‘चीन का स्वर्ण युग’ माना जाता है.
- मंगोल और मिंग साम्राज्य (13वीं से 17वीं सदी): मंगोलों ने चीन पर 13वीं सदी में युआन राजवंश की स्थापना की, और बाद में मिंग राजवंश ने सत्ता संभाली. मिंग काल में चीन ने विशाल नौसैनिक अभियानों के माध्यम से समुद्री व्यापार को बढ़ावा दिया.
- औपनिवेशिक संघर्ष और अफीम युद्ध (19वीं सदी): 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य ने चीन में अफीम व्यापार शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप अफीम युद्ध हुए. इन युद्धों के बाद चीन को पश्चिमी शक्तियों के सामने झुकना पड़ा और उसे कई समझौते करने पड़े.
- भारत-चीन संबंध: स्वतंत्रता और पंचशील समझौता (1950s): 1950 के दशक में भारत और चीन ने पंचशील सिद्धांतों के तहत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का वादा किया. यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने का प्रयास था, लेकिन जल्द ही यह संबंध बिगड़ने लगे.
- भारत-चीन युद्ध (1962): सीमा विवाद के चलते 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में चीन ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया, और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया.
- आर्थिक उदय और आधुनिक चीन (1980s से वर्तमान): 1980 के दशक में चीन ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. चीन आज तकनीकी, सैन्य और आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और वैश्विक राजनीति में उसकी अहम भूमिका है.
चीन का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: चीन पूर्वी एशिया में स्थित है और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. इसके उत्तर में मंगोलिया, पूर्व में कोरिया और जापान, दक्षिण में वियतनाम और भारत, तथा पश्चिम में ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान स्थित हैं.
- क्षेत्रफल: चीन का कुल क्षेत्रफल लगभग 9.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर है. यह रूस और कनाडा के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है.
- पर्वत और पठार: चीन में तिब्बत का पठार और हिमालय पर्वत हैं, जो दुनिया के सबसे ऊंचे स्थल हैं. तिब्बत पठार भारत की सीमा से सटा हुआ है और यहीं से कई महत्वपूर्ण नदियाँ उत्पन्न होती हैं, जैसे ब्रह्मपुत्र.
- हिमालय पर्वत (भारत-चीन सीमा): हिमालय पर्वत चीन और भारत के बीच प्राकृतिक सीमा का काम करते हैं. इस क्षेत्र में कई विवादित स्थल हैं, जिनमें अक्साई चिन प्रमुख है.
- नदियां: चीन में यांग्त्ज़ी और ह्वांग हो जैसी प्रमुख नदियां हैं, जो चीन के कृषि और जनजीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यहीं से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है.
- मौसम और जलवायु: चीन की जलवायु उत्तरी क्षेत्रों में शीतोष्ण, दक्षिणी क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय और पश्चिमी क्षेत्रों में शुष्क है. उत्तरी चीन सर्दियों में बेहद ठंडा होता है, जबकि दक्षिणी भागों में गर्मी होती है.
- रेगिस्तान: चीन का गोबी रेगिस्तान दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तानों में से एक है. यह रेगिस्तान चीन और मंगोलिया की सीमा पर फैला हुआ है और इसे दोनों देशों के बीच विभाजित किया गया है.
- सिंचाई और कृषि भूमि: चीन का पूर्वी भाग बेहद उपजाऊ है और यहां धान, गेहूं और मक्का जैसी प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं. भारत के साथ लगी दक्षिणी सीमा के निकट, युन्नान और तिब्बत के क्षेत्र में भी कृषि प्रचलित है.
- भारत-चीन सीमा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल – LAC): भारत और चीन के बीच सीमा का निर्धारण स्पष्ट नहीं है और इसे LAC कहा जाता है. यह सीमा तिब्बत क्षेत्र से अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख तक फैली हुई है.
- प्राकृतिक आपदाएं: चीन अक्सर भूकंप, बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित रहता है. हिमालय क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियाँ होती रहती हैं, जो भारत-चीन सीमा पर भी प्रभाव डालती हैं.
भारत और चीन के बीच आपसी संबंध:
- प्राचीन व्यापार और सांस्कृतिक संबंध: भारत और चीन के बीच प्राचीन समय से सिल्क रोड के माध्यम से व्यापारिक संबंध रहे हैं. भारतीय बौद्ध धर्म भी चीन में व्यापक रूप से फैला और इसका सांस्कृतिक प्रभाव आज भी देखा जा सकता है.
- 1950s: पंचशील समझौता: 1954 में भारत और चीन ने पंचशील समझौता किया, जिसमें शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांत शामिल थे. इस समझौते से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की गई थी.
- 1962 का भारत-चीन युद्ध: सीमा विवाद के कारण 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में चीन ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया और दोनों देशों के संबंध खराब हो गए.
- सीमा विवाद और LAC: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद आज भी जारी है. लद्दाख के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र को लेकर दोनों देशों में मतभेद हैं.
- राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध: 1970 और 1980 के दशक में दोनों देशों ने फिर से कूटनीतिक संबंध बहाल किए. इसके बाद उच्च स्तरीय वार्ताओं और राजनीतिक संवादों के माध्यम से संबंधों को सुधारने का प्रयास किया गया.
- व्यापारिक संबंध: भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़े हैं, और आज चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. हालाँकि, व्यापार में असंतुलन की वजह से भारत को चीन से आयात पर अधिक निर्भरता रहती है.
- डोकलाम विवाद (2017): 2017 में डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव पैदा हुआ. भूटान के साथ जुड़े इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध हुआ, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया.
- गलवान संघर्ष (2020): जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस घटना के बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया और दोनों देशों ने अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई.
- चीन-पाकिस्तान संबंध और भारत की चिंता: चीन और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जो भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के कारण भारत-चीन संबंधों में और तनाव पैदा हुआ है.
- सामरिक और वैश्विक मंच पर सहयोग: भारत और चीन ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रहती है, लेकिन सीमा विवाद मुख्य चुनौती बना हुआ है.
- 2024 में हालात: अब भी भारत और चीन के संबंधों में जटिलता और तनाव बने हुए हैं. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के कुछ हिस्से हल हुए हैं, लेकिन अब भी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में असहमति और संघर्ष जारी है. इसके अलावा, भारत ने चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्वाड जैसे गठबंधनों में सक्रियता बढ़ा दी है.
भारत का पड़ोसी देश नेपाल
नेपाल का इतिहास:
- प्राचीन सभ्यता और किरात काल (300 ईसा पूर्व): नेपाल की सबसे पुरानी सभ्यता किरात काल से मानी जाती है. यह क्षेत्र प्राचीन समय से हिंदू और बौद्ध संस्कृति का केंद्र रहा है.
- लिच्छवी वंश (4वीं से 9वीं सदी): लिच्छवी वंश ने नेपाल में शासन किया और इसे राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाया. इस काल में नेपाल में कला, वास्तुकला और धर्म का विकास हुआ.
- मल्ल वंश (12वीं से 18वीं सदी): मल्ल वंश के शासनकाल में काठमांडू घाटी के तीन शहर (काठमांडू, भक्तपुर, पाटन) ने कला, वास्तुकला और संस्कृति में उन्नति की. इस समय नेपाल कई छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था.
- गोरखा राज्य और पृथ्वी नारायण शाह (1768): गोरखा राज्य के राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल का एकीकरण किया. 1768 में उन्होंने काठमांडू पर विजय प्राप्त कर नेपाल को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया.
- अंग्रेज-नेपाल युद्ध (1814-1816): नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच संघर्ष हुआ, जिसे अंग्रेज-नेपाल युद्ध कहा जाता है. इस युद्ध के बाद सुगौली संधि हुई, जिसमें नेपाल ने अपने कुछ हिस्से ब्रिटिश भारत को सौंपे.
- राणा शासन (1846-1951): 1846 में जंग बहादुर राणा ने नेपाल में राणा शासन की स्थापना की, जिसमें शाही परिवार केवल प्रतीकात्मक बना रहा. राणा शासकों ने नेपाल में निरंकुश शासन चलाया और नेपाल को बाहरी दुनिया से अलग-थलग रखा.
- 1950 का लोकतांत्रिक आंदोलन: भारत की स्वतंत्रता के बाद नेपाल में लोकतंत्र की मांग बढ़ी. 1950 में राजा त्रिभुवन ने राणा शासन के खिलाफ विद्रोह का समर्थन किया और लोकतंत्र की स्थापना की गई.
- भारत-नेपाल संधि (1950): नेपाल और भारत ने 1950 में ‘शांति और मित्रता संधि’ पर हस्ताक्षर किए, जिसमें दोनों देशों के बीच विशेष संबंध स्थापित हुए. इस संधि के तहत नागरिकों और व्यापारिक संबंधों में सरलता आई.
- राजशाही का अंत और गणतंत्र (2008): 2006 के जनआंदोलन के बाद नेपाल में राजशाही का अंत हुआ. 2008 में नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया और राजतंत्र समाप्त हो गया.
- माओवादी संघर्ष और शांति समझौता (1996-2006): 1996 में माओवादी विद्रोह शुरू हुआ, जिसने नेपाल को एक दशक तक हिंसा में झोंक दिया. 2006 में शांति समझौते के बाद माओवादी मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हुए और राजशाही का अंत हुआ.
नेपाल का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: नेपाल दक्षिण एशिया में स्थित एक भू-आबद्ध (landlocked) देश है. यह उत्तर में चीन और दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में भारत से घिरा हुआ है.
- क्षेत्रफल: नेपाल का कुल क्षेत्रफल लगभग 147,516 वर्ग किलोमीटर है. यह क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का 93वां सबसे बड़ा देश है.
- हिमालय पर्वत: नेपाल का उत्तरी हिस्सा हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा है, जिसमें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) स्थित है. हिमालय भारत-नेपाल सीमा का भी हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच प्राकृतिक विभाजन करता है.
- तराई का मैदानी इलाका: नेपाल का दक्षिणी भाग तराई क्षेत्र है, जो भारत से सटा हुआ है. यह उपजाऊ क्षेत्र नेपाल की कृषि और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है और भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश से जुड़ा है.
- नदियां: नेपाल में मुख्य रूप से तीन बड़ी नदी प्रणालियाँ हैं: कोशी, गंडकी, और कर्णाली. ये नदियाँ भारत में गंगा नदी से मिलती हैं, जिससे भारत और नेपाल के बीच जल संसाधन साझा होते हैं.
- मौसम और जलवायु: नेपाल की जलवायु विविध है—उत्तरी हिमालय क्षेत्र में ठंडा और दक्षिणी तराई में उष्णकटिबंधीय. भारत से लगे तराई क्षेत्रों में गर्म और आर्द्र जलवायु होती है.
- वनस्पति और जीव-जंतु: नेपाल के विविध भौगोलिक क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं. हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ हिम तेंदुए और तराई क्षेत्र में भारतीय गैंडा और बाघ मिलते हैं, जो नेपाल-भारत दोनों के पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा हैं.
- भूकंपीय क्षेत्र: नेपाल उच्च भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है और यहां अकसर भूकंप आते रहते हैं. 2015 में आया विनाशकारी भूकंप नेपाल और भारत के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर चुका है.
- भारत-नेपाल सीमा: भारत और नेपाल के बीच लगभग 1,770 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है. दोनों देशों के नागरिक बिना वीजा के इस सीमा को पार कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंध गहरे हैं.
- पारिस्थितिक चुनौतियां: नेपाल का हिमालय क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है. ग्लेशियरों के पिघलने और जलवायु अस्थिरता के कारण नेपाल और भारत दोनों में जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ रहा है.
भारत और नेपाल के बीच आपसी संबंध:
- सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हैं. हिंदू और बौद्ध धर्म की साझी विरासत दोनों देशों को एक सांस्कृतिक धारा में जोड़ती है.
- 1950 की शांति और मित्रता संधि: 1950 में भारत और नेपाल के बीच ‘शांति और मित्रता संधि‘ पर हस्ताक्षर किए गए. इस संधि ने नागरिकों, व्यापार, और सुरक्षा में सहयोग के लिए द्वार खोला और दोनों देशों के बीच खुली सीमा की स्थापना हुई.
- खुली सीमा और नागरिक आवागमन: भारत और नेपाल के बीच लगभग 1,770 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है. इस सीमा से दोनों देशों के नागरिक बिना वीजा के आ-जा सकते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक संबंध मजबूत बने हुए हैं.
- व्यापारिक संबंध: नेपाल के कुल आयात और निर्यात में भारत की बड़ी हिस्सेदारी है. भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और नेपाल अपनी अधिकांश आवश्यकताएं भारत से पूरी करता है.
- नेपाल की ऊर्जा और जल संसाधन: भारत और नेपाल के बीच कई जलविद्युत परियोजनाओं पर सहयोग हुआ है. कोसी और गंडक नदियों पर बने बांधों और परियोजनाओं से दोनों देशों को ऊर्जा और सिंचाई लाभ मिलता है.
- सैन्य सहयोग: भारत और नेपाल के बीच सैन्य संबंध भी पुराने हैं. भारत की गोरखा रेजिमेंट में नेपाल के गोरखा सैनिकों की बड़ी संख्या है, और नेपाल के सुरक्षा बलों को भारत से प्रशिक्षण और सहयोग मिलता है.
- प्राकृतिक आपदाओं में सहयोग: नेपाल में आई प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से 2015 के विनाशकारी भूकंप के दौरान, भारत ने बड़े पैमाने पर राहत और पुनर्निर्माण सहायता प्रदान की. आपातकालीन सहायता और बचाव कार्यों में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और भारत: नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के समय भारत ने मध्यस्थता में भूमिका निभाई. 2006 में नेपाल में राजशाही के अंत और लोकतंत्र की स्थापना में भारत ने नैतिक और राजनीतिक समर्थन दिया.
- चीन-नेपाल संबंध और भारत की चिंता: हाल के वर्षों में नेपाल और चीन के बढ़ते संबंधों के कारण भारत ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. नेपाल में चीन की आर्थिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर सवाल खड़े किए हैं.
- नागरिकता और जातीय मुद्दे: नेपाल के तराई क्षेत्र (मधेश) में भारत से जुड़े जातीय समूह रहते हैं. नेपाल के नागरिकता और अधिकारों के मुद्दों पर भारत की स्थिति पर कभी-कभी विवाद उत्पन्न होता है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ सकता है.
- 2024 में संबंध: भारत और नेपाल के बीच संबंध सहयोगात्मक हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर चुनौतियां भी बरकरार हैं. हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री की भारत यात्रा और विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर ने साझेदारी को मजबूत किया है. साथ ही नेपाल और भारत ने जलवायु परिवर्तन और बिजली व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी है. हालांकि नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच कुछ क्षेत्रीय विवाद और अविश्वास बने हुए हैं, जो कि 2020 के सीमा विवाद से उत्पन्न हुआ था.
भारत का पड़ोसी देश भूटान
भूटान का इतिहास:
- प्राचीन काल और प्रारंभिक बौद्ध प्रभाव (7वीं सदी): भूटान में बौद्ध धर्म की शुरुआत 7वीं सदी में तिब्बत के राजा सोंग्त्सेन गम्पो द्वारा मानी जाती है. यह धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव भूटान के समाज और इतिहास में गहराई से रचा-बसा है.
- द्रुकपा कग्युपा पंथ का उदय (12वीं सदी): 12वीं सदी में द्रुकपा कग्युपा बौद्ध पंथ भूटान में स्थापित हुआ. यह पंथ आज भी भूटान की आधिकारिक धर्म परंपरा का हिस्सा है.
- राजनीतिक एकीकरण और शबद्रुंग नगवांग नामग्याल (17वीं सदी): 17वीं सदी में शबद्रुंग नगवांग नामग्याल ने भूटान को एकीकृत किया और भूटान की राजनीतिक संरचना की नींव रखी. उन्होंने देश को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए किलेबंदी (द्ज़ोंग) का निर्माण कराया.
- भूटान और तिब्बत के बीच संबंध: भूटान का प्रारंभिक इतिहास तिब्बत से प्रभावित रहा है, जहां से कई बौद्ध पंथों का उदय हुआ. भूटान ने तिब्बत से धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान किया, लेकिन दोनों के बीच राजनीतिक तनाव भी रहा.
- भूटान और ब्रिटिश भारत के बीच संधि (1910): 1910 में भूटान ने ब्रिटिश भारत के साथ पुनाखा संधि पर हस्ताक्षर किए. इस संधि के तहत भूटान ने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी, लेकिन विदेशी मामलों में ब्रिटिश भारत के सुझावों को मानने पर सहमति व्यक्त की.
- भारत की स्वतंत्रता के बाद संबंध (1949): भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1949 में भारत और भूटान के बीच एक नई मित्रता संधि पर हस्ताक्षर हुए. इस संधि के तहत भारत ने भूटान की संप्रभुता का सम्मान किया और भूटान ने भारत के साथ अपने विदेश नीति मामलों में परामर्श की सहमति दी.
- राजशाही का स्थायित्व (1907 से): 1907 में उगेन वांगचुक भूटान के पहले ड्रुक ग्यालपो (राजा) बने. उनके वंश ने भूटान में राजशाही को स्थायित्व प्रदान किया और आधुनिक भूटान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
- आधुनिक शिक्षा और विकास (1960s): 1960 के दशक में भूटान के तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक ने आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की. इसी समय भूटान ने भारत की मदद से सड़क और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित किया.
- राजशाही से लोकतंत्र की ओर (2008): 2008 में भूटान में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना हुई, जब राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने लोकतांत्रिक प्रणाली लागू की. भूटान में पहली बार संसदीय चुनाव हुए, जिससे यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रवेश करने वाला एक नया राष्ट्र बना.
- भारत-भूटान संबंध और आर्थिक सहयोग: भारत और भूटान के बीच ऊर्जा और जलविद्युत परियोजनाओं पर घनिष्ठ सहयोग है. भारत भूटान की सबसे बड़ी व्यापारिक और आर्थिक सहयोगी शक्ति है, जो भूटान की बिजली उत्पादन परियोजनाओं में निवेश करता है.
भूटान का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: भूटान दक्षिण एशिया में हिमालय की गोद में स्थित एक छोटा पर्वतीय देश है. यह उत्तर में चीन और दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में भारत से घिरा हुआ है.
- क्षेत्रफल: भूटान का कुल क्षेत्रफल लगभग 38,394 वर्ग किलोमीटर है. यह हिमालयी क्षेत्र का एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है.
- पर्वतीय भू-भाग: भूटान का लगभग 70% हिस्सा पहाड़ों से ढका हुआ है. हिमालय की ऊँचाइयाँ और गहरी घाटियां इसके भौगोलिक स्वरूप को परिभाषित करती हैं, जिससे इसे “पर्वतों का देश” कहा जाता है.
- हिमालय पर्वत और भारत-भूटान सीमा: भूटान का उत्तरी भाग हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा है. भूटान की दक्षिणी सीमा भारत के असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से मिलती है, जो दोनों देशों के बीच एक मजबूत संबंध को दर्शाती है.
- जलवायु: भूटान की जलवायु क्षेत्र के आधार पर बदलती रहती है—उत्तर में ठंडी जलवायु, मध्य भाग में समशीतोष्ण और दक्षिण में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है. भारत से सटे दक्षिणी क्षेत्र में गर्म और नम मौसम होता है.
- नदियां: भूटान में प्रमुख नदियाँ जैसे वांग चू, तोरसा, मानस, और संकोश बहती हैं. ये नदियाँ भारत की ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली से जुड़ती हैं और जलविद्युत परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
- वनस्पति और वन्यजीवन: भूटान का लगभग 72% क्षेत्र वनाच्छादित है, जहाँ विविध प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं. हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे हिम तेंदुआ और कस्तूरी मृग मिलते हैं.
- प्राकृतिक संसाधन और जलविद्युत: भूटान के विशाल पर्वतीय जल संसाधन जलविद्युत परियोजनाओं के लिए उपयुक्त हैं. भारत और भूटान के बीच कई जलविद्युत परियोजनाएँ संचालित होती हैं, जिनसे भूटान अपनी अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न करता है.
- प्राकृतिक आपदाएं: भूटान भूकंप, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है. इसकी भौगोलिक स्थिति और हिमालय की ऊँचाइयों के कारण यहाँ अक्सर ये आपदाएँ आती रहती हैं.
- पारिस्थितिक संतुलन और संरक्षण: भूटान दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरणीय संरक्षण प्रयासों में से एक के लिए जाना जाता है. यहां के संविधान में यह प्रावधान है कि देश का कम से कम 60% हिस्सा हमेशा वनों से आच्छादित रहेगा.
भारत और भूटान के बीच आपसी संबंध:
- सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध: भारत और भूटान के बीच प्राचीन समय से सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध रहे हैं. बौद्ध धर्म के कारण भूटान भारत से गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है.
- 1950 की ‘शांति और मित्रता संधि’: भारत और भूटान के बीच 1949 में ‘शांति और मित्रता संधि’ पर हस्ताक्षर हुए. इस संधि ने भूटान को संप्रभुता की गारंटी दी और भारत ने भूटान के विदेश संबंधों और सुरक्षा में परामर्श की पेशकश की.
- आर्थिक सहयोग और जलविद्युत परियोजनाएं: भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक और आर्थिक साझेदार है. भारत और भूटान के बीच कई जलविद्युत परियोजनाओं का संचालन होता है, जिनसे उत्पन्न बिजली भारत को निर्यात की जाती है.
- व्यापारिक संबंध: भूटान के कुल आयात और निर्यात में भारत की बड़ी हिस्सेदारी है. भारत भूटान के लिए आवश्यक वस्तुओं का मुख्य आपूर्तिकर्ता है और भूटान अपनी अधिकांश बिजली भारत को बेचता है.
- भूटान की विकास परियोजनाओं में भारतीय योगदान: भूटान की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, जैसे सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत ने महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है. भारतीय विशेषज्ञों ने भूटान की आधुनिक विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- सैन्य सहयोग: भारत और भूटान के बीच सैन्य संबंध घनिष्ठ हैं. भारत भूटान के रक्षा और सुरक्षा मामलों में प्रशिक्षण और सहयोग प्रदान करता है, और भारतीय सेना भूटान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती है.
- डोकलाम विवाद (2017): 2017 में भूटान, भारत और चीन के बीच डोकलाम में तनाव उत्पन्न हुआ था. भारत ने भूटान के साथ मिलकर चीन के सड़क निर्माण का विरोध किया, जिससे इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा लेकिन बाद में कूटनीतिक हल निकाला गया.
- पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत से भूटान आने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है, और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आदान-प्रदान से संबंध और गहरे हुए हैं. भूटान भारतीय पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है.
- शिक्षा और छात्रवृत्तियां: भारत भूटान के छात्रों को शिक्षा और छात्रवृत्तियों के लिए अवसर प्रदान करता है. भारतीय विश्वविद्यालयों में कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिए अध्ययन करते हैं, जो दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करता है.
- भारत-भूटान सीमा और सुरक्षा: भारत और भूटान के बीच सीमा सुरक्षित और विवाद रहित है. यह दोनों देशों के बीच गहरे राजनीतिक और कूटनीतिक विश्वास को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.
भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश
बांग्लादेश का इतिहास:
- प्राचीन बंगाल (3री सदी ईसा पूर्व): बंगाल क्षेत्र का इतिहास प्राचीन समय से शुरू होता है, जब यह मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था. यहाँ बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ और यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र बना.
- मुस्लिम शासन और मुगल साम्राज्य (13वीं-18वीं सदी): 13वीं सदी में बंगाल में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई, और बाद में यह मुगल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना. मुगल काल में ढाका एक प्रमुख व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र बना.
- ब्रिटिश उपनिवेश काल (1757-1947): प्लासी के युद्ध (1757) के बाद बंगाल ब्रिटिश शासन के अधीन आया. ब्रिटिश काल में बंगाल का विभाजन (1905) और फिर पुनः एकीकरण (1911) हुआ, जिसने बंगाल की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला.
- भारत का विभाजन और पूर्वी पाकिस्तान (1947): 1947 में भारत के विभाजन के बाद बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और इसे ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहा गया. पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और राजनीतिक अंतर बढ़ने लगे.
- भाषाई आंदोलन (1952): पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा को आधिकारिक मान्यता दिलाने के लिए आंदोलन हुआ. यह आंदोलन बाद में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना, जिसे ‘भाषा आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है.
- राजनीतिक अस्थिरता और स्वतंत्रता संग्राम (1971): पश्चिमी पाकिस्तान की उपेक्षा और दमन के कारण पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की मांग तेज हुई. 1971 में शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा, और भारत के समर्थन से बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली.
- भारत का समर्थन और युद्ध (1971): 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान के पक्ष में हस्तक्षेप किया. इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ, जिसमें पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और बांग्लादेश का निर्माण हुआ.
- स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियाँ (1971-1980): स्वतंत्रता के बाद बांग्लादेश को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा. शेख मुजीबुर रहमान की हत्या (1975) के बाद सैन्य शासन और तख्तापलट के दौर शुरू हुए.
- लोकतंत्र की बहाली (1991): 1990 में बड़े जनांदोलन के बाद बांग्लादेश में सैन्य शासन का अंत हुआ और 1991 में लोकतंत्र बहाल हुआ. इसके बाद देश में लोकतांत्रिक चुनाव और संवैधानिक प्रक्रियाएं फिर से शुरू हुईं.
- आधुनिक बांग्लादेश और भारत के साथ संबंध: बांग्लादेश ने आर्थिक सुधारों और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. भारत के साथ इसके मजबूत व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध बने हुए हैं, विशेषकर जल संसाधन और सीमा सुरक्षा के मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग है.
बांग्लादेश का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में स्थित एक छोटा सा देश है, जो उत्तर, पश्चिम और पूर्व में भारत और दक्षिण-पूर्व में म्यांमार से घिरा हुआ है. दक्षिण में इसकी तटरेखा बंगाल की खाड़ी से मिलती है.
- क्षेत्रफल: बांग्लादेश का कुल क्षेत्रफल लगभग 147,570 वर्ग किलोमीटर है. यह घनी आबादी वाला देश है और क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया में 92वें स्थान पर है.
- नदी तंत्र: बांग्लादेश में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना जैसी प्रमुख नदियां बहती हैं. ये नदियां भारत से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करती हैं और देश के विशाल डेल्टा क्षेत्र का निर्माण करती हैं.
- गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा: बांग्लादेश में दुनिया का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है, जिसे गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा कहा जाता है. यह उपजाऊ क्षेत्र बांग्लादेश की कृषि और जनसंख्या के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
- मौसम और जलवायु: बांग्लादेश की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है, जहां गर्म और आर्द्र मौसम होता है. मानसून के दौरान यहाँ भारी वर्षा होती है, जो देश की कृषि पर गहरा प्रभाव डालती है.
- बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं: बांग्लादेश को नियमित रूप से बाढ़, चक्रवात और तटीय कटाव जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है. इसके निचले तटवर्ती क्षेत्र समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रति संवेदनशील हैं.
- सुंदरबन वन क्षेत्र: बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में सुंदरबन का प्रसिद्ध मैंग्रोव वन क्षेत्र स्थित है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है. यह क्षेत्र रॉयल बंगाल टाइगर और अन्य जंगली जीवन के लिए प्रसिद्ध है और भारत के पश्चिम बंगाल से भी जुड़ा है.
- पहाड़ी क्षेत्र: बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व में चटगांव पहाड़ी क्षेत्र स्थित है, जो देश का एकमात्र प्रमुख पहाड़ी इलाका है. यहां कई जनजातीय समूह रहते हैं और यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है.
- जल संसाधन और भारत से संबंध: बांग्लादेश और भारत के बीच जल संसाधन साझेदारी महत्वपूर्ण है. गंगा जल संधि और तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच लगातार संवाद और सहयोग होता रहता है.
- कृषि और भूमि उपयोग: बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, जिसमें धान, जूट, और गन्ना प्रमुख फसलें हैं. गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा की उपजाऊ भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है, लेकिन बाढ़ के कारण यह क्षेत्र हमेशा जोखिम में रहता है.
भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध और स्वतंत्रता संग्राम (1971): भारत और बांग्लादेश के संबंध 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम से गहरे हैं. भारत ने इस संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता मिली.
- शांति और सुरक्षा: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में भारत के साथ सुरक्षा संबंध मजबूत हुए. हसीना ने भारत-विरोधी उग्रवादी समूहों पर सख्त कार्रवाई की, जिससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शांति स्थापित करने में मदद मिली.
- व्यापारिक संबंध: भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़े हैं. 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 13 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें बांग्लादेश भारत के कपास, वाहन, और पेट्रोलियम उत्पादों का प्रमुख आयातक बना.
- जल संसाधन सहयोग: गंगा जल समझौता (1996) और अन्य जल संसाधन साझेदारियाँ दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रही हैं. तीस्ता नदी के जल बंटवारे पर अभी भी बातचीत जारी है, जो दोनों देशों के संबंधों में एक संवेदनशील मुद्दा है.
- सीमा विवाद और सुरक्षा समझौते: 2015 में भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता हुआ, जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को हल किया गया. इस समझौते से दोनों देशों के बीच अवैध आव्रजन और सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों को नियंत्रित करने में मदद मिली.
- परिवहन और कनेक्टिविटी: भारत और बांग्लादेश ने रेल, सड़क और जलमार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है. यह कनेक्टिविटी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करती है.
- ऊर्जा और बिजली सहयोग: बांग्लादेश भारत से बिजली का प्रमुख आयातक है. दोनों देशों के बीच कई ऊर्जा समझौतों के तहत भारत से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति होती है, जिससे बांग्लादेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाता है.
- शेख हसीना का शासन और भारत संबंध: शेख हसीना के 15 साल के शासन के दौरान भारत और बांग्लादेश के संबंध बेहद घनिष्ठ रहे. उन्होंने भारत के साथ मजबूत व्यापारिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया और सीमा पार उग्रवाद को नियंत्रित किया.
- चीन और बांग्लादेश के संबंधों पर भारत की चिंता: बांग्लादेश में चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ खड़ी की हैं. चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते व्यापार और निवेश ने भारत को इस क्षेत्र में अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया.
- 2024 में तख्तापलट और भारत के लिए चुनौतियां: 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ तख्तापलट हुआ, जिसमें उन्हें पद छोड़कर भारत भागना पड़ा. इस घटनाक्रम ने भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी कीं, क्योंकि हसीना सरकार भारत के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी थी. तख्तापलट के बाद भारत को बांग्लादेश की नई सरकार के साथ अपने संबंधों को पुनः स्थापित करने और सुरक्षा व कूटनीतिक चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता होगी.
भारत का पड़ोसी देश म्यांमार
म्यांमार का इतिहास:
- प्राचीन साम्राज्य और बौद्ध धर्म (9वीं से 13वीं सदी): म्यांमार का इतिहास 9वीं सदी में पगान साम्राज्य से शुरू होता है, जो बर्मा क्षेत्र का पहला एकीकृत साम्राज्य था. पगान साम्राज्य के दौरान बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ, और इसी काल में अनेकों बौद्ध मंदिर और स्तूप बनाए गए, जिनमें बागान के मंदिर आज भी प्रसिद्ध हैं.
- मंगोल आक्रमण और साम्राज्य का पतन (1287): 1287 में मंगोलों ने पगान साम्राज्य पर हमला किया, जिससे साम्राज्य का पतन हो गया. इसके बाद म्यांमार में छोटे-छोटे राज्य उभर आए, जिनमें शान और मोन प्रमुख थे.
- तोन्गू साम्राज्य (16वीं सदी): 16वीं सदी में तोन्गू साम्राज्य म्यांमार में स्थापित हुआ, जो अपने समय में दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे बड़ा साम्राज्य था. इस काल में म्यांमार ने सियाम (थाईलैंड) और लाओस जैसे पड़ोसी देशों के साथ युद्ध किए और उन्हें विजय किया.
- कोंबांग राजवंश (1752-1885): कोंबांग राजवंश म्यांमार का अंतिम शाही राजवंश था, जिसने 1752 से 1885 तक शासन किया. इस काल में म्यांमार ने अपने क्षेत्र का विस्तार किया और थाईलैंड तथा मणिपुर (भारत) पर हमले किए.
- ब्रिटिश औपनिवेशिक काल (1824-1948): तीन एंग्लो-बर्मी युद्धों (1824, 1852, 1885) के बाद म्यांमार ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया. 1885 में कोंबांग राजवंश का अंत हो गया और म्यांमार को ब्रिटिश भारत का एक प्रांत बना दिया गया.
- द्वितीय विश्व युद्ध और जापानी कब्ज़ा (1942-1945): द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान म्यांमार पर जापान ने कब्ज़ा कर लिया. इस समय ब्रिटिश और जापानी सेनाओं के बीच म्यांमार में भीषण लड़ाई हुई, और अंततः 1945 में ब्रिटिश सेनाओं ने इसे फिर से हासिल कर लिया.
- स्वतंत्रता और उ नू का शासन (1948): 4 जनवरी 1948 को म्यांमार को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली. उ नू म्यांमार के पहले प्रधानमंत्री बने और उनके कार्यकाल में देश ने लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ाया.
- सैन्य शासन का उदय (1962): 1962 में जनरल ने विन के नेतृत्व में सैन्य तख्तापलट हुआ, जिसके बाद म्यांमार में सैन्य शासन की स्थापना हुई. इस समय देश का नाम बर्मा से म्यांमार किया गया और ‘बर्मीज़ वे टू सोशलिज्म’ नामक नीति लागू की गई.
- आंग सान सू ची और लोकतंत्र की लड़ाई (1988-2010): 1988 में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन हुआ, जिसमें आंग सान सू ची एक प्रमुख नेता बनीं. 1990 में सू ची की पार्टी ने चुनाव जीते, लेकिन सैन्य सरकार ने परिणाम को नकार दिया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया.
- लोकतांत्रिक सुधार और सैन्य तख्तापलट (2021): 2010 के बाद म्यांमार में लोकतांत्रिक सुधार शुरू हुए और आंग सान सू ची की पार्टी ने सत्ता संभाली. हालांकि, 2021 में फिर से सैन्य तख्तापलट हुआ, और म्यांमार में लोकतंत्र की वापसी की प्रक्रिया बाधित हो गई, जिसके बाद व्यापक विरोध और संघर्ष शुरू हुआ.
म्यांमार का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: म्यांमार दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है, जिसकी सीमाएं भारत, चीन, थाईलैंड, लाओस और बांग्लादेश से मिलती हैं. इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 6,76,578 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे एशिया का दसवां सबसे बड़ा देश बनाता है.
- भारत से संबंध: म्यांमार की भारत के साथ लगभग 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश से लगती है. ये क्षेत्र पर्वतीय और घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से आदिवासी समुदायों का आपसी आदान-प्रदान होता रहा है.
- नदी तंत्र: म्यांमार में प्रमुख नदियां इरावदी, सिट्टवीन और सालवीन हैं, जो देश की कृषि व्यवस्था और परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इरावदी नदी के तटीय क्षेत्र भारत के ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा क्षेत्र से कुछ समानता रखते हैं, जहां दोनों जगहें कृषि प्रधान हैं.
- जलवायु: म्यांमार में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है, जिसमें गर्म और नमी वाली गर्मियों के साथ मानसूनी वर्षा होती है. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जलवायु भी इसी प्रकार की है, जो सीमा से लगे क्षेत्रों में समान पर्यावरणीय परिस्थितियां उत्पन्न करती है.
- पर्वत और पठार: म्यांमार के पश्चिमी हिस्से में अराकान योमा पर्वत श्रृंखला स्थित है, जो भारत के पूर्वी घाट और अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों से मिलती-जुलती है. यह पर्वत श्रृंखला म्यांमार और भारत के बीच एक प्राकृतिक सीमा का भी काम करती है.
- तटवर्ती क्षेत्र: म्यांमार का पश्चिमी हिस्सा बंगाल की खाड़ी से जुड़ा हुआ है, जो इसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार का हिस्सा बनाता है. भारत का पश्चिम बंगाल राज्य भी इसी खाड़ी के पास स्थित है, जिससे दोनों देशों के तटवर्ती क्षेत्रों में समान व्यापारिक महत्त्व है.
भारत और म्यांमार के बीच आपसी संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और म्यांमार के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध प्राचीन काल से हैं, विशेषकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के कारण. दोनों देशों की सांस्कृतिक जड़ें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, जहां बौद्ध धर्म भारत से म्यांमार तक फैला.
- राजनयिक संबंध: भारत ने 1948 में म्यांमार को उसकी स्वतंत्रता के बाद राजनयिक मान्यता दी, और तभी से दोनों देशों के बीच अच्छे कूटनीतिक संबंध हैं. ये संबंध आपसी सहयोग और संवाद के माध्यम से मजबूत होते रहे हैं.
- व्यापारिक संबंध: भारत और म्यांमार के बीच सीमा पार व्यापार और समुद्री व्यापार दोनों महत्वपूर्ण हैं, जिसमें भारत चावल, दालें, और समुद्री उत्पादों का आयात करता है. म्यांमार, भारत के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है.
- सुरक्षा सहयोग: भारत और म्यांमार सीमा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं. दोनों देशों ने सीमाई क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों और अवैध तस्करी को नियंत्रित करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत और म्यांमार के बीच विभिन्न सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें पर्यटन, कला, और शैक्षणिक क्षेत्र प्रमुख हैं. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के बीच आपसी सांस्कृतिक संबंध भी देखे जाते हैं.
- मूलभूत ढांचा विकास: भारत म्यांमार में बुनियादी ढांचे के विकास में भी सहयोग कर रहा है, जैसे कि त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना जो भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ती है. यह परियोजना दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगी.
भारत का पड़ोसी देश अफगानिस्तान
अफगानिस्तान का इतिहास:
- प्राचीन इतिहास: अफगानिस्तान का इतिहास 3000 ईसा पूर्व से शुरू होता है, जब यह क्षेत्र विभिन्न सभ्यताओं और साम्राज्यों का हिस्सा रहा. इसमें अचमेनिड साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य (जो भारत से जुड़ा था), और कुषाण साम्राज्य प्रमुख हैं.
- भारत से संबंध: मौर्य साम्राज्य के तहत, सम्राट अशोक ने अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म का प्रचार किया, जिससे भारत और अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध मजबूत हुए. बामियान की बुद्ध प्रतिमाएं इस सांस्कृतिक संबंध का प्रतीक हैं.
- इस्लाम का आगमन: 7वीं शताब्दी में इस्लाम का आगमन हुआ, जब अरब आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में लिया. इस्लामी संस्कृति और परंपराएं धीरे-धीरे यहां की सामाजिक संरचना का हिस्सा बन गईं.
- मध्यकालीन इतिहास: 13वीं शताब्दी में मंगोल आक्रमण के कारण अफगानिस्तान में भारी विनाश हुआ. इसके बाद तैमूर और बाबर जैसे शासकों ने अफगानिस्तान को अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया. बाबर, जो भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था, अफगानिस्तान से होते हुए भारत आया.
- ब्रिटिश औपनिवेशिक काल: 19वीं शताब्दी में अफगानिस्तान ब्रिटिश और रूसी साम्राज्यों के बीच ‘ग्रेट गेम’ का केंद्र बन गया. ब्रिटिश भारत की सीमा से लगे होने के कारण अफगानिस्तान की रणनीतिक महत्ता बढ़ गई और कई युद्ध लड़े गए, जिन्हें “एंग्लो-अफगान युद्ध” कहा जाता है.
- स्वतंत्रता: 1919 में, अफगानिस्तान ने ब्रिटिश साम्राज्य से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की. इसके बाद देश में आधुनिक सुधारों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दिशा में कई प्रयास किए गए.
- सोवियत आक्रमण: 1979 में, सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, जिससे वहां गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गई. इस संघर्ष में भारत ने अफगानिस्तान की सहायता के लिए कूटनीतिक समर्थन दिया, जबकि पाकिस्तान और अमेरिका ने मुजाहिदीन लड़ाकों को समर्थन दिया.
- तालिबान शासन: 1996 में, तालिबान ने अफगानिस्तान में नियंत्रण प्राप्त किया और देश को शरिया कानून के तहत चलाना शुरू किया. तालिबान शासन के दौरान भारत ने अफगानिस्तान में अपने दूतावास बंद कर दिए और विरोध जताया.
- वर्तमान संबंध: 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में नाटो ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को हटाया और तब से भारत ने अफगानिस्तान में विकासात्मक परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया. भारत ने वहां स्कूल, अस्पताल और बुनियादी ढांचा निर्माण में मदद की. अब जब वहां दोबारा तालिबान शासन कायम हो चुका है, 2024 में भी संबंधों पर दरार सी है. हालांकि भारत सरकार ने अपनी परियोजनाओं पर फिलहाल के लिए रोक नहीं लगाई है.
अफगानिस्तान का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: अफगानिस्तान दक्षिण और मध्य एशिया के बीच स्थित एक स्थलरुद्ध (landlocked) देश है, जिसकी सीमाएं पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन से मिलती हैं. इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 6,52,864 वर्ग किलोमीटर है.
- पर्वत और पठार: अफगानिस्तान में हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला प्रमुख है, जो देश के केंद्र से गुजरती है और इसे उत्तर और दक्षिण भागों में विभाजित करती है. हिंदुकुश की ऊंचाइयां भारत के हिमालय पर्वतों से मेल खाती हैं और देश के लिए रणनीतिक महत्त्व रखती हैं.
- भारत से संबंध: हिंदुकुश और हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं ऐतिहासिक रूप से भारत और अफगानिस्तान को प्राकृतिक रूप से अलग करती हैं. हालांकि, खैबर दर्रा जैसे प्रमुख दर्रे दोनों देशों के बीच संपर्क का महत्वपूर्ण मार्ग रहे हैं.
- नदी तंत्र: अफगानिस्तान में प्रमुख नदियां काबुल, हेलमंड और अमू दरिया हैं. काबुल नदी, जो पाकिस्तान के पेशावर तक पहुंचती है, दोनों देशों के बीच जल संसाधन साझा करने का एक उदाहरण है.
- जलवायु: अफगानिस्तान की जलवायु शुष्क और अर्ध-शुष्क है, जिसमें सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है और गर्मियों में तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है. यह जलवायु भारत के हिमालयी क्षेत्रों की जलवायु से कुछ समानता रखती है, खासकर ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में.
- मरुस्थलीय क्षेत्र: देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में रेगिस्तानी क्षेत्र हैं, जैसे रेगिस्तान-ए-मारगो और दाश्त-ए-कविर, जो इसे मध्य एशिया के शुष्क क्षेत्रों के करीब लाते हैं. भारत में राजस्थान के थार मरुस्थल की तरह, ये इलाके शुष्क और आबादी कम होने वाले हैं.
- प्राकृतिक संसाधन: अफगानिस्तान में लोहा, तांबा, सोना और लिथियम जैसे प्राकृतिक संसाधनों का विशाल भंडार है. यह देश की अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक महत्त्व को बढ़ाता है, जिसमें भारत भी निवेश करता रहा है, खासकर अफगानिस्तान की खदानों में.
भारत और अफगानिस्तान के बीच आपसी संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों की गहरी जड़ें प्राचीन काल से हैं, जब मौर्य साम्राज्य के दौरान बौद्ध धर्म अफगानिस्तान में फैला. इसके बाद दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक संपर्क सिल्क रोड के माध्यम से भी रहा. मुगल शासन के दौरान बाबर के भारत आगमन ने इन संबंधों को और मजबूत किया.
- आधुनिक युग में संबंध: 20वीं शताब्दी में, भारत ने अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थन किया. 1979 में सोवियत आक्रमण के बाद भी भारत ने अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण स्थिरता की कोशिशें कीं. तालिबान के पहले शासन (1996-2001) के दौरान, भारत ने अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को सीमित कर दिया था और इसके बाद करज़ई और अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकारों का समर्थन किया.
- विकास सहयोग: 2001 के बाद, भारत ने अफगानिस्तान में विभिन्न विकास परियोजनाओं में $3 बिलियन से अधिक का निवेश किया. भारत ने सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और अफगान संसद के निर्माण में मदद की. दोनों देशों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा विकास में सहयोग महत्वपूर्ण रहा है.
- सुरक्षा सहयोग: भारत अफगानिस्तान में स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद करता रहा है. 1999 में कंधार अपहरण कांड के बाद, भारत की सुरक्षा चिंताएं अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों की उपस्थिति से और बढ़ गई थीं. इसके बावजूद, भारत ने वहां मानवीय और विकासात्मक मदद के अपने प्रयास जारी रखे.
तालिबान की वापसी के बाद:
- 2021 में तालिबान की वापसी: अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, भारत ने अपनी कूटनीतिक उपस्थिति को अस्थायी रूप से रोक दिया और काबुल से अपने दूतावास को बंद कर दिया. हालांकि, बाद में भारत ने एक “तकनीकी टीम” भेजी, जो मानवीय सहायता के लिए अफगानिस्तान में काम कर रही है.
- वर्तमान संबंध और चुनौतियां: 2023-24 में, भारत ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन उसने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता जारी रखी है. भारत ने अफगानिस्तान को 25 मिलियन डॉलर की विकास सहायता प्रदान की है, जो तालिबान द्वारा सकारात्मक रूप से स्वीकार की गई है. भारत ने 40,000 मीट्रिक टन गेहूं और चिकित्सा आपूर्ति भी भेजी हैं. भारत ने अफगानिस्तान में अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भी समर्थन दिया है, जिसका अनुरोध तालिबान ने किया था.
- भविष्य की कूटनीति: भारत अफगानिस्तान के साथ अपनी कूटनीति को संतुलित तरीके से चला रहा है, जिसमें सुरक्षा चिंताएं प्रमुख हैं. भारत के लिए यह ज़रूरी है कि अफगानिस्तान आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बने, खासकर पाकिस्तान समर्थित तत्वों के लिए. साथ ही, तालिबान के साथ सीधे तौर पर काम करना भारत के लिए अफगान जनता के साथ अपने पुराने सांस्कृतिक संबंधों और अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करने का एक तरीका है.
भारत अपने संबंधों में मानवीय मदद पर केंद्रित रहा है, लेकिन वह तालिबान के शासन के प्रति सतर्कता बनाए रखते हुए अपने दीर्घकालिक हितों को साधने की कोशिश कर रहा है.
भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका
श्रीलंका का इतिहास:
- प्राचीन इतिहास: श्रीलंका का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है, जहां प्रारंभिक समय में इसे “ताप्रोबेन” कहा जाता था. महावंश के अनुसार, श्रीलंका का पहला राजा विजय (543 ईसा पूर्व) था, जो भारत से आया था. भारत के मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म का प्रचार श्रीलंका में किया, जिससे श्रीलंका में बौद्ध धर्म की नींव रखी गई.
- भारत से संबंध: भारत और श्रीलंका के संबंध प्राचीन काल से ही घनिष्ठ रहे हैं, विशेषकर बौद्ध धर्म के प्रसार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से. श्रीलंका के शुरुआती राजवंश भारत के तमिलनाडु से प्रभावित थे, और इस सांस्कृतिक व धार्मिक संबंध ने दोनों देशों के बीच गहरा रिश्ता स्थापित किया.
- मध्यकालीन काल: 11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान, चोल साम्राज्य ने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी भागों पर कब्जा किया. इस समय में श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से स्वतंत्र बने रहे, जबकि उत्तरी हिस्सों में चोल साम्राज्य का प्रभाव रहा. इस काल में कई धार्मिक और सांस्कृतिक भवनों का निर्माण हुआ, जिनमें प्रमुख रूप से बौद्ध मठ और मंदिर शामिल हैं.
- औपनिवेशिक युग: 16वीं शताब्दी में, श्रीलंका पर सबसे पहले पुर्तगाली, फिर डच, और अंत में 19वीं शताब्दी में ब्रिटिशों का शासन हुआ. ब्रिटिशों ने 1815 में कंद्य के सिंहली साम्राज्य पर कब्जा कर लिया और पूरे द्वीप को अपने अधीन कर लिया. भारत की तरह, श्रीलंका भी ब्रिटिश उपनिवेश के तहत रहा और इस दौरान यहां चाय और रबर उद्योग का विकास हुआ.
- स्वतंत्रता प्राप्ति: श्रीलंका ने 4 फरवरी 1948 को ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्रता प्राप्त की. स्वतंत्रता के बाद, श्रीलंका ने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपने राजनीतिक ढांचे का विकास किया और इसका नाम बदलकर “श्रीलंका” रखा गया, जिसे पहले “सीलोन” कहा जाता था.
- गृहयुद्ध: 1983 से 2009 तक, श्रीलंका एक भीषण गृहयुद्ध का सामना करता रहा, जिसमें श्रीलंका की सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के बीच संघर्ष हुआ. इस युद्ध के कारण हजारों लोगों की जानें गईं और देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ. 2009 में, श्रीलंका सरकार ने इस गृहयुद्ध को समाप्त किया.
- भारत से संबंध: श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान, भारत ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई और शांति बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए. भारतीय शांति सेना (IPKF) ने 1987-1990 तक श्रीलंका में तैनात होकर तमिल विद्रोहियों और श्रीलंकाई सेना के बीच शांति स्थापित करने का प्रयास किया. हालांकि, इस हस्तक्षेप के कारण भारत-श्रीलंका संबंधों में कई विवाद भी पैदा हुए.
- आधुनिक संबंध: 2009 के बाद, श्रीलंका ने धीरे-धीरे विकास और पुनर्निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया. भारत ने इस दौरान श्रीलंका के विकास में मदद की, खासकर बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में. दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हुए, और दोनों देश हिंद महासागर में रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं.
श्रीलंका का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: श्रीलंका एक द्वीपीय राष्ट्र है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित है. यह द्वीप भारत से लगभग 31 किलोमीटर की दूरी पर है और “पाक जलडमरूमध्य” द्वारा अलग होता है. श्रीलंका का कुल क्षेत्रफल लगभग 65,610 वर्ग किलोमीटर है.
- भारत से संबंध: श्रीलंका का उत्तरी भाग भारत के तमिलनाडु से सटा हुआ है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान होता रहा है. रामेश्वरम से जाफ़ना तक “आदम का पुल” (Adam’s Bridge) के अवशेष जलडमरूमध्य में पाए जाते हैं, जो भूगोल और पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
- पर्वत और जंगल: श्रीलंका का केंद्रीय भाग पर्वतीय है, जिसमें श्रीलंका का सबसे ऊंचा पर्वत पीडुरुतालागला (2,524 मीटर) स्थित है. यहाँ के पहाड़ी इलाके चाय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं. इन पर्वतों के आसपास उष्णकटिबंधीय जंगल फैले हुए हैं, जो जैव विविधता से भरपूर हैं. श्रीलंका के वन भारत के पश्चिमी घाट के समान वातावरण का हिस्सा माने जाते हैं.
- नदियां और झीलें: श्रीलंका की प्रमुख नदियों में महावेली नदी सबसे लंबी है, जो देश के जल संसाधनों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, श्रीलंका में कई झीलें और कृत्रिम जलाशय हैं, जो प्राचीन जलसंचयन प्रणालियों का हिस्सा हैं.
- तटवर्ती क्षेत्र: श्रीलंका का तट रेत से ढका हुआ और समुद्री जीवन से समृद्ध है, जिसमें कोरल रीफ और मछलियों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं. पश्चिमी तट की तुलना में पूर्वी तट का भूगोल अधिक खुला और शांत है. श्रीलंका का यह तटीय भूगोल भारतीय महासागर के व्यापार और रणनीतिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है.
- जलवायु: श्रीलंका की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें साल भर गर्म और नमी वाली स्थिति रहती है. देश में मानसून के प्रभाव से मौसम में बदलाव आता है, खासकर दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसूनों के कारण. भारत के दक्षिणी हिस्सों की जलवायु भी श्रीलंका की जलवायु से काफी मेल खाती है, विशेषकर तटीय क्षेत्रों में.
- प्राकृतिक संसाधन: श्रीलंका अपने रत्न खदानों और चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. देश की भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक रूप से संसाधनों के मामले में समृद्ध बनाती है. भारत के साथ इसका भौगोलिक निकटता दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित करती है, खासकर बंदरगाहों और समुद्री मार्गों के जरिए.
भारत और श्रीलंका के बीच आपसी संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की नींव प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान पर आधारित रही है. विशेषकर बौद्ध धर्म का प्रसार भारत से श्रीलंका में हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध बना. इसके अलावा, तमिल और सिंहली समुदायों के बीच ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं, जो दोनों देशों के निकट संपर्क को दर्शाते हैं.
- आर्थिक संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हैं. भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच कई प्रमुख व्यापार समझौते हुए हैं, जैसे 1998 का भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता (ISFTA). इस समझौते के तहत भारत ने श्रीलंका को अपने व्यापारिक उत्पादों के लिए विशेष छूट और सुविधाएं प्रदान की हैं. श्रीलंका से चाय, रत्न, और वस्त्र भारत में आयात होते हैं, जबकि भारत से श्रीलंका को पेट्रोलियम, औषधि, और मोटर वाहनों का निर्यात होता है.
- राजनयिक और सामरिक संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक संबंध 1948 में श्रीलंका की स्वतंत्रता के तुरंत बाद स्थापित हो गए थे. दोनों देश हिंद महासागर में सुरक्षा और समुद्री सहयोग के लिए रणनीतिक साझेदारी बनाए रखते हैं. भारत श्रीलंका के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार है और दोनों देशों ने कई सुरक्षा और रक्षा सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
- तमिल विवाद और शांति प्रक्रिया: 1980 और 1990 के दशकों में श्रीलंका में तमिलों और सिंहली सरकार के बीच हुए गृहयुद्ध के दौरान भारत ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई. भारत ने 1987 में भारतीय शांति सेना (IPKF) भेजी, जो तमिल विद्रोहियों और श्रीलंकाई सेना के बीच संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास कर रही थी. हालांकि, IPKF मिशन विवादास्पद रहा और 1990 में भारतीय सेना को वापस बुला लिया गया. इसके बाद भी भारत ने श्रीलंका की शांति प्रक्रिया और विकास में सहायता जारी रखी.
- आधुनिक युग में सहयोग: 2009 में श्रीलंका में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद भारत ने श्रीलंका में पुनर्निर्माण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण सहायता दी. भारत ने स्कूल, अस्पताल, और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश किया है, विशेषकर उत्तर और पूर्वी श्रीलंका के तमिल बहुल इलाकों में. इसके अलावा, श्रीलंका में प्राकृतिक आपदाओं के समय भी भारत ने तुरंत सहायता प्रदान की, जैसे 2004 की सुनामी के दौरान.
- सांस्कृतिक और पर्यटन संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. भारतीय पर्यटकों के लिए श्रीलंका एक लोकप्रिय गंतव्य है, विशेषकर बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक स्थलों के कारण. वहीं, श्रीलंकाई छात्र और पर्यटक भी भारत की संस्कृति और शिक्षा से जुड़ते हैं. दोनों देशों के बीच नियमित तौर पर सांस्कृतिक महोत्सव, शैक्षिक विनिमय और खेल प्रतिस्पर्धाएं होती रहती हैं.
- 2024 में चुनौतियां और सहयोग: भारत और श्रीलंका के बीच मछली पकड़ने के क्षेत्र में विवाद और चीन के साथ श्रीलंका के बढ़ते संबंधों को लेकर कुछ चुनौतियां हैं. हालांकि, दोनों देशों ने इन मुद्दों पर बातचीत के जरिए समाधान खोजने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. श्रीलंका के चीन के साथ कर्ज संकट के बावजूद भारत ने आर्थिक संकट के समय श्रीलंका को कर्ज सहायता और अन्य आर्थिक मदद प्रदान की है.
भारत और श्रीलंका के संबंध बहुआयामी और परस्पर सहयोग पर आधारित हैं, जिनमें आर्थिक, सांस्कृतिक, और रणनीतिक सहयोग शामिल है.
भारत का पड़ोसी देश मालदीव
मालदीव का इतिहास:
- प्राचीन समय और प्रारंभिक बसावट (300 ईसा पूर्व): माना जाता है कि मालदीव में मानव बसावट लगभग 300 ईसा पूर्व शुरू हुई. प्राचीन समय में मालदीव एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था, जहाँ पर भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और पूर्वी अफ्रीका के व्यापारी आते थे.
- बौद्ध धर्म का प्रभाव (5वीं से 12वीं सदी): मालदीव में बौद्ध धर्म का प्रमुख प्रभाव था और यह लगभग 12वीं सदी तक यहां का मुख्य धर्म बना रहा. इस समय में कई बौद्ध मठ और स्तूपों का निर्माण किया गया, जिनके अवशेष आज भी पाए जाते हैं.
- इस्लाम का आगमन (1153): 12वीं सदी में, मालदीव के सुल्तान मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया. इसके बाद इस्लाम मालदीव का आधिकारिक धर्म बन गया और यह आज तक कायम है.
- सुल्तान शासन (12वीं से 20वीं सदी): मालदीव में कई सदियों तक सुल्तान का शासन रहा. इस काल में मालदीव पर स्थानीय राजाओं का शासन था, जिन्होंने इस्लामिक कानूनों के तहत शासन किया और मछली पकड़ने और व्यापार पर आधारित अर्थव्यवस्था का विकास किया.
- पुर्तगाली कब्ज़ा (1558-1573): 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने मालदीव पर कब्ज़ा कर लिया, लेकिन उनका शासन लंबे समय तक नहीं चल पाया. 1573 में स्थानीय नायक मोहम्मद थकुरुफ़ानु ने पुर्तगाली शासन को खत्म कर दिया.
- ब्रिटिश संरक्षित राज्य (1887-1965): 1887 में मालदीव ने ब्रिटिश साम्राज्य के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत मालदीव ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गया. इस संधि के तहत ब्रिटेन ने मालदीव की रक्षा की, लेकिन आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया.
- स्वतंत्रता (1965): 26 जुलाई 1965 को मालदीव को ब्रिटिश संरक्षण से पूर्ण स्वतंत्रता मिली. इसके बाद मालदीव ने एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई.
- गणराज्य की स्थापना (1968): 1968 में मालदीव ने सुल्तानत को समाप्त कर गणराज्य की स्थापना की. इसके साथ ही इब्राहीम नासिर देश के पहले राष्ट्रपति बने, और मालदीव में लोकतांत्रिक शासन की शुरुआत हुई.
- मौमून अब्दुल गय्यूम का युग (1978-2008): 1978 से 2008 तक मौमून अब्दुल गय्यूम मालदीव के राष्ट्रपति रहे. उनके कार्यकाल के दौरान मालदीव ने आर्थिक विकास और पर्यटन में बड़ी प्रगति की, लेकिन उनके शासन को तानाशाही और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों का भी सामना करना पड़ा.
- लोकतांत्रिक बदलाव और राजनीतिक अस्थिरता (2008-वर्तमान): 2008 में मालदीव में पहली बार लोकतांत्रिक चुनाव हुए, जिसमें मोहम्मद नशीद राष्ट्रपति बने. इसके बाद से मालदीव को राजनीतिक अस्थिरता और शासन परिवर्तन का सामना करना पड़ा, जिसमें कई बार सत्ता संघर्ष और तख्तापलट जैसी घटनाएं हुईं.
मालदीव का भूगोल:
- भौगोलिक स्थिति: मालदीव दक्षिण एशिया में हिंद महासागर के मध्य स्थित एक द्वीपीय देश है. यह भारत के दक्षिण-पश्चिम में और श्रीलंका के दक्षिण में स्थित है.
- क्षेत्रफल और आकार: मालदीव का कुल क्षेत्रफल लगभग 298 वर्ग किलोमीटर है, जिससे यह एशिया का सबसे छोटा देश है. यह 1,190 से अधिक प्रवाल द्वीपों (coral islands) से बना है, जो 26 एटोल्स में समूहित हैं.
- समुद्र-स्तर से ऊंचाई: मालदीव दुनिया का सबसे नीचा देश है, जिसकी औसत ऊंचाई समुद्र-स्तर से मात्र 1.5 मीटर है. इसका सबसे ऊंचा स्थान केवल 2.4 मीटर की ऊँचाई पर है, जो इसे समुद्र-स्तर में वृद्धि से अत्यधिक जोखिम में डालता है.
- जलवायु: मालदीव की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है, जिसमें वर्ष भर गर्मी और आर्द्रता बनी रहती है. यहाँ दो मुख्य मानसून हैं—दक्षिण-पश्चिम मानसून (मई से अक्टूबर) और उत्तर-पूर्व मानसून (नवंबर से अप्रैल).
- जलस्रोत और लैगून: मालदीव के द्वीप प्रवाल भित्तियों और लैगून से घिरे हैं. यहां मीठे जल का कोई प्रमुख स्रोत नहीं है, इसलिए वर्षा जल और समुद्री जल का उपयोग प्रचलित है.
- प्रवाल द्वीप (कोरल आइलैंड्स): मालदीव के द्वीप प्रवाल भित्तियों से बने हैं, जो दुनिया के सबसे सुंदर और संवेदनशील समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक हैं. ये प्रवाल भित्तियां न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती हैं, बल्कि देश की समुद्री सुरक्षा में भी योगदान करती हैं.
- समुद्री जीवन और जैव विविधता: मालदीव का समुद्री जीवन बेहद समृद्ध है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मछलियां, शार्क, कछुए और डॉल्फिन पाई जाती हैं. यहां की प्रवाल भित्तियां भी जैव विविधता का प्रमुख हिस्सा हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
- पर्यावरणीय खतरे: मालदीव को जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते स्तर से गंभीर खतरा है. देश का अधिकांश हिस्सा समुद्र-स्तर के बहुत निकट होने के कारण बाढ़ और तटीय कटाव की समस्या से जूझता है.
- पर्यटन का प्रभाव: मालदीव के द्वीप अपनी प्राकृतिक सुंदरता, साफ समुद्र तटों और प्रवाल भित्तियों के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं. पर्यटन यहां की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है और इसके कारण पर्यावरण संरक्षण भी महत्वपूर्ण हो गया है.
- भारत से भूगोलिक संबंध: मालदीव भारत के निकटतम समुद्री पड़ोसियों में से एक है. दोनों देशों के बीच 700 किलोमीटर की समुद्री दूरी है और यह भौगोलिक निकटता रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करती है.
भारत और मालदीव के बीच आपसी संबंध:
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं. दोनों देशों के बीच निकटता के कारण धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ, जिससे ये संबंध और भी मजबूत हुए हैं.
- मालदीव की स्वतंत्रता (1965): 1965 में जब मालदीव को ब्रिटिश संरक्षण से स्वतंत्रता मिली, तब भारत ने सबसे पहले इसे मान्यता दी. इसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनैतिक और कूटनीतिक संबंध तेजी से प्रगाढ़ हुए.
- 1988 का तख्तापलट और भारतीय हस्तक्षेप: 1988 में जब मालदीव में एक तख्तापलट का प्रयास हुआ, तब भारत ने “ऑपरेशन कैक्टस” के तहत त्वरित सैन्य हस्तक्षेप किया. भारतीय सेना ने तख्तापलट को विफल कर मालदीव की सरकार को बहाल किया, जिससे दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग और गहरा हो गया.
- सुरक्षा सहयोग और समुद्री सुरक्षा: मालदीव हिंद महासागर में स्थित है, जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा में मदद करने के लिए तटरक्षक जहाज, हेलीकॉप्टर और रडार तैनात किए हैं. दोनों देशों के बीच “एकुवेरिन” जैसे सैन्य अभ्यास भी होते हैं.
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध: भारत और मालदीव के बीच मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंध हैं. भारत ने मालदीव में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे कि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट. इसके अलावा, मालदीव की ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है.
- पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक मालदीव जाते हैं, और पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देता है. इसके अलावा, मालदीव के लोग भारत के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में विशेष रूप से निर्भर हैं, जहाँ वे चिकित्सा उपचार और उच्च शिक्षा प्राप्त करने आते हैं.
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय सहयोग: मालदीव समुद्र-स्तर में वृद्धि से विशेष रूप से प्रभावित है, और भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए मालदीव को लगातार सहायता प्रदान की है. दोनों देशों के बीच पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी सहयोग होता है.
- कोविड-19 महामारी के दौरान सहयोग: कोविड-19 संकट के दौरान भारत ने मालदीव को चिकित्सा सहायता, टीके और वित्तीय मदद दी. “ऑपरेशन संजीवनी” के तहत भारत ने मालदीव को जीवनरक्षक दवाइयाँ और चिकित्सा उपकरण प्रदान किए, जिससे महामारी से लड़ने में मदद मिली.
- चीन और मालदीव के बीच बढ़ता प्रभाव: हाल के वर्षों में, मालदीव में चीन की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक उपस्थिति ने भारत को चिंतित किया है. चीन ने मालदीव में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जिससे भारत और मालदीव के बीच संबंधों में अस्थिरता आई है.
- 2024 में तख्तापलट और राजनैतिक संकट: 2024 की शुरुआत में मालदीव में भारत-विरोधी भावनाएं बढ़ीं, खासकर जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु ने “इंडिया आउट” अभियान का समर्थन किया. मालदीव में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को लेकर विवाद बढ़ा और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियों से दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए. मोइज्जु सरकार के चीन के प्रति झुकाव और भारत के साथ कटुता ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर नकारात्मक प्रभाव डाला है.
पड़ोसी देशों को लेकर भारत की विदेश नीतियां
- “नेबरहुड फर्स्ट” नीति: भारत की पड़ोसी देशों के प्रति विदेश नीति की आधारशिला “नेबरहुड फर्स्ट” (पड़ोस पहले) सिद्धांत पर टिकी है. इस नीति के तहत भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग, आर्थिक विकास, और स्थिरता को प्राथमिकता देता है. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और समृद्धि को बढ़ावा देना है, जिसमें कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी सहयोग शामिल है. नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, और मालदीव के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना इस नीति का प्रमुख लक्ष्य है.
- आर्थिक सहयोग: भारत अपने पड़ोसी देशों को आर्थिक रूप से समर्थन देने पर जोर देता है. बांग्लादेश और नेपाल के साथ मुक्त व्यापार समझौते, बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश और श्रीलंका में विकास परियोजनाएं इसका उदाहरण हैं. भारत ने ऊर्जा, जल संसाधन, और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में अपने पड़ोसी देशों के साथ कई समझौते किए हैं, ताकि क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिल सके.
- सुरक्षा और सामरिक संबंध: भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग को प्राथमिकता देता है. मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों के साथ समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करना भारत की नीति का हिस्सा है. भारत ने सीमा पार से आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक वार्ता का भी सहारा लिया है, हालांकि इन संबंधों में अक्सर तनाव बना रहता है.
- आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता: भारत अक्सर आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता में अपने पड़ोसियों की मदद करता है. 2004 की सुनामी के बाद श्रीलंका और मालदीव को भारत की त्वरित सहायता और नेपाल में 2015 के भूकंप के बाद राहत कार्य इस दिशा में भारत की तत्परता को दर्शाते हैं. हाल के वर्षों में, श्रीलंका के आर्थिक संकट के समय भारत ने कर्ज सहायता और खाद्य आपूर्ति में मदद की.
- सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क: भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सांस्कृतिक, शैक्षणिक और पर्यटन संबंधों को भी मजबूत करता है. “सॉफ्ट पावर” के तहत भारत ने नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे देशों में धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और विकास में सहयोग किया है. इसके अलावा भारत अपने पड़ोसियों के छात्रों के लिए शैक्षणिक छात्रवृत्तियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित करता है.
- चीन के साथ प्रतिस्पर्धा: भारत की पड़ोसी देशों के प्रति विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण पहलू चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करना भी है. चीन की “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) और श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह जैसे परियोजनाओं से उत्पन्न प्रतिस्पर्धा के बावजूद, भारत ने अपनी “नेबरहुड फर्स्ट” नीति के तहत इन देशों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखने की कोशिश की है. इस प्रतिस्पर्धा के कारण भारत ने अधिक आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन देना शुरू किया है.
- पाकिस्तान के साथ संबंध: भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध जटिल रहे हैं, जिनमें कश्मीर विवाद, आतंकवाद, और सीमा मुद्दे प्रमुख हैं. भारत की नीति पाकिस्तान के साथ वार्ता के जरिए समाधान निकालने की है, हालांकि 2019 के पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इन संबंधों में तनाव बढ़ा है. बावजूद इसके, भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ अपने हितों की रक्षा करने की कोशिश करता रहा है.
हाल की पहल:
भारत ने 2023-24 में भी अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश जारी रखी है. श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ उच्च-स्तरीय वार्ताओं और परियोजनाओं का उद्घाटन इसका ताजा उदाहरण है.
निष्कर्ष:
भारत के पड़ोसी देशों के साथ उसके संबंध जटिल और विविधतापूर्ण हैं. भौगोलिक निकटता के साथ-साथ इन देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध भी महत्वपूर्ण हैं. हालाँकि, सीमा विवाद, जल बंटवारा और आतंकवाद जैसे मुद्दे इन संबंधों में कभी-कभी तनाव उत्पन्न करते हैं, फिर भी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सहयोग और संवाद की आवश्यकता को भारत हमेशा महत्व देता है. भविष्य में इन पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध किस दिशा में जाएंगे, यह क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर निर्भर करेगा.
FAQ
भारत के कितने पड़ोसी देश हैं?
9 देश
भारत का सबसे लंबा सीमा साझेदार कौन सा देश है?
बांग्लादेश
भारत और पाकिस्तान के बीच कितनी सीमा लंबाई है?
3,323 किलोमीटर
भारत-चीन सीमा विवाद किस वर्ष मुख्य रूप से हुआ था?
1962
नेपाल के साथ भारत की खुली सीमा की लंबाई कितनी है?
1,770 किलोमीटर
भारत के समुद्री पड़ोसी कौन से देश हैं?
श्रीलंका, मालदीव
भारत और अफगानिस्तान की सीधी सीमा है?
नहीं
भारत और भूटान के बीच कितनी सीमा लंबाई है?
699 किलोमीटर
बांग्लादेश का निर्माण किस वर्ष हुआ?
1971
भारत का सबसे छोटा समुद्री पड़ोसी कौन है?
मालदीव
भारत के पड़ोसी देशों के नाम बताओ?
पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया.
पाकिस्तान, नेपाल, जापान, भूटान- इनमें से कौन-सा देश भारत का पड़ोसी नहीं है?
जापान