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तीस्ता नदी विवाद: भारत-बांग्लादेश संबंध, इनवायरमेंटल बैलेंस के बीच बंगालियों के लिए संघर्ष करतीं ममता बनर्जी

Mamata Banerjee Teesta water rights

Mamata Banerjee Teesta water rights: तीस्ता नदी एक महत्वपूर्ण नदी है जो भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्यों से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है. इस नदी का जल बटवारा लंबे समय से भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का विषय रहा है. हम यहां आपको तीस्ता नदी की भौगोलिक स्थिति, इसके जल बटवारे को लेकर हुए विवादों, पानी के उपयोग और इस संदर्भ में हुए प्रदर्शनों की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. साथ ही बताएंगे कि दो देशों के बीच आपसी समझ और पर्यावरणीय संतुलन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बंगालियों के लिए संघर्ष की कहानी.

Table of Contents

भौगोलिक स्थिति (Teesta River geography and usage)

तीस्ता नदी का उद्गम स्थल सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में पाहुनरी ग्लेशियर में है. यह नदी सिक्किम से होकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है, जहां यह दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों से बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है. बांग्लादेश में, तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी के रूप में मिलती है. नदी की कुल लंबाई लगभग 393 किलोमीटर है.

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जल बटवारा और विवाद (Teesta River water dispute)

अंग्रेजी शासन काल

अंग्रेजी शासन काल में तीस्ता नदी का जल बटवारा विवाद का विषय नहीं था, क्योंकि उस समय भारत एक एकीकृत उपमहाद्वीप था. विभाजन के बाद, यह मुद्दा उभरकर सामने आया. हालांकि तब 1815 में नेपाल के राजा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए समझौते में नदी के बड़े हिस्से का नियंत्रण अंग्रेजों को सौंपा गया था.

पूर्वी पाकिस्तान के समय

1947 में भारत के विभाजन के बाद, तीस्ता नदी का जल बटवारा भारत और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के बीच विवाद का कारण बना. 1960 के दशक में इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ा, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया.

बांग्लादेश का दौर

1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद, तीस्ता नदी का जल बटवारा और भी जटिल हो गया. 1983 में एक अस्थायी समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने नदी के जल का बंटवारा किया, जिसमें बांग्लादेश को 36% और भारत को शेष पानी मिला. लेकिन यह समझौता पर्याप्त नहीं था. बांग्लादेश इस समझौते पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहा है.

2011 का विवाद (Mamata Banerjee West Bengal water struggle)

2011 में, भारत और बांग्लादेश के बीच एक व्यापक जल बटवारा समझौता होने वाला था, जिसमें तीस्ता नदी का जल बटवारा भी शामिल था. इसमें तय हुआ था कि दिसंबर-मार्च के बीच नदी के पानी का 50-50% बंटवारा होगा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्तियों के कारण यह समझौता नहीं हो पाया. ममता बनर्जी ने कहा कि इस समझौते से पश्चिम बंगाल के किसानों के हितों को नुकसान होगा.

उनका तर्क था कि दिसंबर से मार्च के बीच तीस्ता नदी में पानी का बहाव कम हो जाता है, जिससे बांग्लादेश में मछुआरों और किसानों को रोजगार के दूसरे विकल्प तलाशने पड़ते हैं. यह भी कहा कि उनके बैराज से ज्यादा पानी छोड़ने पर वे खुद जल संकट का सामना करेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोधस्वरूप बांग्लादेश दौरा भी रद्द कर दिया था.

पानी का उपयोग (Teesta water sharing controversy)

भारत में

भारत में तीस्ता नदी का पानी सिंचाई, पेयजल और पनबिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है. सिक्किम और पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए यह नदी जीवनरेखा है. तीस्ता बैराज परियोजना के तहत पश्चिम बंगाल में सिंचाई के लिए व्यापक स्तर पर पानी का उपयोग किया जाता है. जलपाईगुड़ी के गाजोलडोबा बैराज के पानी का इस्तेमाल कोलकाता पोर्ट के लिए भी होता है.

बांग्लादेश में उपयोग

बांग्लादेश में तीस्ता नदी का पानी मुख्य रूप से कृषि के लिए उपयोग किया जाता है. इस क्षेत्र के किसानों के लिए यह नदी अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी जल आपूर्ति पर उनकी खेती निर्भर करती है. बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में पानी की कमी की समस्या तीस्ता नदी के जल पर निर्भरता को और बढ़ा देती है.

प्रदर्शन और विरोध (Protests over Teesta River water)

बांग्लादेश में विरोध

बांग्लादेश में तीस्ता नदी के जल बटवारे को लेकर अक्सर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. बांग्लादेशी जनता और किसानों का आरोप है कि भारत उनके हिस्से का पानी अवैध रूप से उपयोग कर रहा है. उन्होंने कई बार ढाका और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए हैं.

भारत में विरोध (Mamata Banerjee Teesta water rights)

भारत में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में, इस मुद्दे पर भी विरोध हुआ है. ममता बनर्जी और अन्य नेताओं ने यह कहते हुए विरोध किया है कि बांग्लादेश को अधिक पानी देने से राज्य के किसानों को नुकसान होगा.

समाधान के प्रयास

द्विपक्षीय वार्ता (India-Bangladesh Teesta agreement)

भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के जल बटवारे को लेकर कई बार द्विपक्षीय वार्ता हुई है. इन वार्ताओं में जल बटवारे के उचित और न्यायसंगत समाधान पर विचार किया गया है, लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है.

संयुक्त आयोग

दोनों देशों ने एक संयुक्त नदी आयोग का गठन किया है, जो इस मुद्दे पर अध्ययन और समाधान के प्रयास करता है. इस आयोग का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के न्यायसंगत और सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है.

Conclussion (Mamata Banerjee Teesta water rights)

तीस्ता नदी का जल बटवारा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जो भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. इस नदी का जल बटवारा न केवल दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि उन क्षेत्रों के लाखों लोगों की जीवनरेखा भी है जो इस पानी पर निर्भर करते हैं.

इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा, ताकि एक न्यायसंगत और संतुलित जल बटवारा संभव हो सके. इसके लिए जरूरी है कि दोनों देश एक दूसरे के हितों का सम्मान करें और एक पारदर्शी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाएं. अंततः, यह मुद्दा केवल द्विपक्षीय संबंधों का ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और आर्थिक स्थिरता का भी है.

इस संघर्ष के समाधान से न केवल दोनों देशों के संबंध बेहतर हो सकते हैं, बल्कि यह एक उदाहरण भी बन सकता है कि कैसे जल संसाधनों का न्यायसंगत और सतत् उपयोग किया जा सकता है. साथ ही अपने देश की जनता के हितों को भी नजरअंदाज सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता. बहरहाल, ममता बनर्जी के संघर्ष को बंगाल की जनता का साथ भरपूर मिल रहा है.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

तीस्ता जल समझौता कब हुआ था?

1815 में नेपाल के राजा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए समझौते में नदी के बड़े हिस्से का नियंत्रण अंग्रेजों को सौंपा गया था.

तीस्ता नदी कहां स्थित है?

तीस्ता नदी का उद्गम स्थल सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में पाहुनरी ग्लेशियर में है. यह नदी सिक्किम से होकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है, जहां यह दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों से बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है. बांग्लादेश में, तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी के रूप में मिलती है.

तीस्ता नदी बांग्लादेश के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

बांग्लादेश में तीस्ता नदी का पानी मुख्य रूप से कृषि के लिए उपयोग किया जाता है. इस क्षेत्र के किसानों के लिए यह नदी अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी जल आपूर्ति पर उनकी खेती निर्भर करती है. बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में पानी की कमी की समस्या तीस्ता नदी के जल पर निर्भरता को और बढ़ा देती है.

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