Skip to content

किडनी इन्फेक्शन: लक्षण, उपचार और रोकथाम के तरीके

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण

किडनी इन्फेक्शन एक गंभीर स्थिति है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है और समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है. यह संक्रमण किडनी और मूत्र प्रणाली को प्रभावित करता है. किडनी इन्फेक्शन के लक्षण की बात करें तो पीठ में दर्द, बुखार, पेशाब में जलन और थकान शामिल हो सकते हैं. सही समय पर पहचान और उपचार अत्यधिक जरूरी है ताकि इसे बढ़ने से रोका जा सके. इस ब्लॉग में हम किडनी इन्फेक्शन के लक्षणों, उपचार के तरीकों और इससे बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

Table of Contents

किडनी इन्फेक्शन क्या है?

किडनी इन्फेक्शन, जिसे मेडिकल भाषा में पाइलोनेफ्राइटिस कहा जाता है, एक प्रकार का मूत्र संक्रमण है जो किडनी तक फैलता है. यह संक्रमण ज्यादातर बैक्टीरिया के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग या मूत्राशय के माध्यम से किडनी तक पहुंचते हैं. किडनी इन्फेक्शन गंभीर स्थिति हो सकती है, अगर इसे समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह किडनी को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है या शरीर में अन्य संक्रमण फैला सकता है. इसका इलाज एंटीबायोटिक्स द्वारा किया जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की भी आवश्यकता पड़ सकती है.

यह भी पढ़ें: रेबीज क्या है: लक्षण, इंजेक्शन डोज, वैक्सीन, इलाज की पूरी जानकारी

किडनी की कार्यप्रणाली और संक्रमण का असर

किडनी शरीर में रक्त से विषाक्त पदार्थों को छानने और मूत्र के रूप में उन्हें बाहर निकालने का महत्वपूर्ण कार्य करती है. इसके अलावा, यह इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करती है. जब किडनी इन्फेक्शन होता है, तो किडनी की यह कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है. संक्रमण के कारण किडनी सूज सकती है, जिससे मूत्र निर्माण और निष्कासन की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है. अगर संक्रमण का इलाज समय पर न हो, तो किडनी फेलियर या रक्त विषाक्तता (सेप्सिस) का खतरा भी हो सकता है.

यह भी पढ़ें: शरीर में गांठ: लक्षण, कारण, इलाज, खतरे और रोकथाम

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण

शुरुआती लक्षण

किडनी इन्फेक्शन के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य मूत्र संक्रमण जैसे ही होते हैं. इसमें बार-बार पेशाब आना और पेशाब करते समय जलन या दर्द होना प्रमुख लक्षण होते हैं. इसके अलावा पेशाब का रंग गहरा या बदबूदार हो सकता है. पेट के निचले हिस्से में दर्द या असहजता महसूस हो सकती है. हल्का बुखार, ठंड लगना और थकान भी शुरुआती लक्षणों में शामिल हो सकते हैं. यदि इस अवस्था में इन्फेक्शन का उपचार न किया जाए, तो लक्षण गंभीर हो सकते हैं और संक्रमण किडनी तक फैल सकता है.

यह भी पढ़ें: अदरक के फायदे: सुबह खाली पेट लें, यूं घटेगी चर्बी

गंभीर लक्षण

जब किडनी इन्फेक्शन गंभीर हो जाता है, तो इसके लक्षण भी तीव्र हो जाते हैं. इसमें उच्च बुखार (38°C या इससे अधिक), पीठ के निचले हिस्से या साइड में तेज दर्द और उल्टी या मतली शामिल होती है. पेशाब में खून आना या मवाद जैसा दिखाई देना भी गंभीर लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ ही मरीज को अत्यधिक कमजोरी, अत्यधिक थकान, और भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. अगर संक्रमण का तेजी से इलाज न किया जाए, तो यह सेप्सिस या किडनी फेलियर जैसी जटिलताएं पैदा कर सकता है.

यह भी पढ़ें: kalonji ke fayde

किडनी इन्फेक्शन के कारण

बैक्टीरिया का संक्रमण

किडनी इन्फेक्शन का मुख्य कारण बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, खासकर ई. कोलाई (E. Coli) नामक बैक्टीरिया, जो आमतौर पर आंतों में पाया जाता है. यह बैक्टीरिया मूत्रमार्ग के जरिए मूत्राशय में प्रवेश करता है और फिर किडनी तक पहुंचकर संक्रमण पैदा करता है. आमतौर पर, यह समस्या तब होती है जब स्वच्छता का ध्यान न रखा जाए, या सेक्स के दौरान बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में चले जाते हैं. इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर भी बैक्टीरिया आसानी से शरीर में संक्रमण फैला सकते हैं, जिससे किडनी इन्फेक्शन हो सकता है.

यह भी पढ़ें: Dalchini ke Fayde in Hindi

पेशाब की रुकावट

किडनी इन्फेक्शन का एक और महत्वपूर्ण कारण पेशाब की रुकावट है. जब मूत्र सही ढंग से बाहर नहीं निकलता, तो मूत्राशय में बैक्टीरिया का जमाव बढ़ जाता है, जो आगे चलकर किडनी तक पहुंच सकते हैं. पेशाब की रुकावट कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि मूत्रमार्ग में पत्थरी, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना या मूत्राशय के संक्रमण. गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के दबाव से भी पेशाब की रुकावट हो सकती है. इस स्थिति में बैक्टीरिया को बढ़ने और संक्रमण फैलाने का अवसर मिल जाता है, जिससे किडनी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

यह भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में पेट दर्द: कारण, इलाज और सावधानियां

किडनी इन्फेक्शन की जांच कैसे की जाती है?

पेशाब परीक्षण (Urine Test)

किडनी इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए सबसे पहला और आम तरीका पेशाब परीक्षण है. इस टेस्ट में पेशाब का नमूना लिया जाता है और उसमें बैक्टीरिया, सफेद रक्त कोशिकाएं (WBC), या मवाद जैसी चीजों की उपस्थिति की जांच की जाती है. किडनी इन्फेक्शन के लक्षण के रूप में अगर पेशाब में बैक्टीरिया या संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह संकेत देता है कि मूत्र प्रणाली में इन्फेक्शन है. इसके अलावा यूरिन कल्चर नामक एक विशिष्ट परीक्षण भी किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि किस प्रकार का बैक्टीरिया इन्फेक्शन का कारण बना है, ताकि सही एंटीबायोटिक दवाओं का चयन किया जा सके.

यह भी पढ़ें: नाक से खून आने के कारण, घरेलू उपाय और चिकित्सा उपचार: संपूर्ण गाइड

खून की जांच (Blood Test)

किडनी इन्फेक्शन की गंभीरता को जानने के लिए खून की जांच भी की जाती है. इस जांच में खून में मौजूद संक्रमण के संकेतकों को देखा जाता है, जैसे कि सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या और C-Reactive Protein (CRP) का स्तर. अगर खून में बैक्टीरिया पाए जाते हैं, तो यह इंगित करता है कि संक्रमण किडनी से बाहर फैल चुका है और सेप्सिस का खतरा है. खून की जांच से डॉक्टर यह भी समझ सकते हैं कि किडनी की कार्यक्षमता पर कितना असर पड़ा है और क्या किसी और गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें: मंकीपॉक्स: वायरस संरचना, लक्षण, पहला मामला और भारत में स्थिति

अल्ट्रासाउंड और अन्य इमेजिंग तकनीकें

अगर किडनी इन्फेक्शन के लक्षण गंभीर होते हैं या लंबे समय से जारी है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड या अन्य इमेजिंग तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं. अल्ट्रासाउंड में किडनी की संरचना को देखा जाता है ताकि किडनी में सूजन, पत्थरी या कोई अन्य बाधा का पता चल सके. इसके अलावा, CT स्कैन या MRI का उपयोग किया जाता है जब डॉक्टर को संक्रमण की गंभीरता या संभावित जटिलताओं की अधिक विस्तृत जानकारी चाहिए. ये इमेजिंग तकनीकें किडनी के कामकाज और संक्रमण के प्रभाव को समझने में मदद करती हैं.

किडनी इन्फेक्शन के इलाज के तरीके

एंटीबायोटिक्स का प्रयोग

किडनी इन्फेक्शन का सबसे सामान्य और प्रभावी उपचार एंटीबायोटिक्स का प्रयोग है. डॉक्टर संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स का एक कोर्स निर्धारित करते हैं. यह कोर्स आमतौर पर 7 से 14 दिनों तक चल सकता है, लेकिन संक्रमण की गंभीरता के आधार पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है.

शुरुआती संक्रमण के लिए ओरल एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, जबकि गंभीर मामलों में इंजेक्शन या इंट्रावेनस (IV) एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है. सही एंटीबायोटिक का चयन करने के लिए पेशाब या खून के नमूने से बैक्टीरिया की जांच की जाती है, ताकि इलाज सही दिशा में हो सके.

अस्पताल में भर्ती और सर्जरी के विकल्प

अगर किडनी इन्फेक्शन के लक्षण गंभीर हो या एंटीबायोटिक्स का असर न हो, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है. अस्पताल में इंट्रावेनस (IV) के माध्यम से एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं ताकि तेजी से संक्रमण का इलाज हो सके. अगर पेशाब की रुकावट, किडनी में पत्थरी, या फोड़े जैसी जटिलताएं हों, तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है. सर्जरी के जरिए मूत्रमार्ग की रुकावट को दूर किया जाता है या संक्रमित हिस्से को हटाया जाता है. कुछ मामलों में किडनी के आसपास के फोड़े को निकालने के लिए ड्रेनेज प्रक्रिया की भी जरूरत पड़ सकती है.

घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव

ज्यादा पानी पीना

किडनी इन्फेक्शन से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना अत्यधिक महत्वपूर्ण है. पानी किडनी से विषाक्त पदार्थों और बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे संक्रमण तेजी से कम हो सकता है. पर्याप्त पानी पीने से पेशाब के जरिए मूत्र प्रणाली साफ होती रहती है और संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है. डॉक्टर आमतौर पर मरीजों को रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं. हालांकि, अगर किडनी की कोई और समस्या हो, तो पानी की मात्रा का निर्धारण चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए.

सही खानपान और आराम

  • संतुलित आहार लें: विटामिन और खनिजों से भरपूर आहार, जैसे ताजे फल और सब्जियां, किडनी की कार्यक्षमता को बेहतर बनाए रखते हैं. तले हुए और प्रोसेस्ड भोजन से बचें, क्योंकि ये किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं.
  • पूरा आराम करें: किडनी इन्फेक्शन के दौरान शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत होती है. इससे शरीर को संक्रमण से लड़ने और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.

किडनी इन्फेक्शन से बचाव के उपाय

साफ-सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण दिखे तो इससे बचने के लिए साफ-सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. हर बार पेशाब या शौच के बाद गुप्तांगों को अच्छी तरह से साफ करें, खासकर महिलाओं को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए ताकि बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में प्रवेश न करें. नियमित स्नान करने से शरीर पर जमे बैक्टीरिया को हटाया जा सकता है, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा, टॉयलेट के उपयोग के बाद अपने हाथों को साबुन से धोना सुनिश्चित करें. यौन संबंधों के बाद भी गुप्तांगों की सफाई करना मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया के प्रवेश को रोकने का एक प्रभावी तरीका है.

समय पर पेशाब करना

किडनी इन्फेक्शन से बचाव के लिए यह महत्वपूर्ण है कि समय पर पेशाब किया जाए और मूत्र को लंबे समय तक रोककर न रखा जाए. जब पेशाब रोका जाता है, तो मूत्राशय में बैक्टीरिया का जमाव हो सकता है, जो किडनी तक संक्रमण फैला सकता है. अधिक पानी पीने और बार-बार पेशाब करने से बैक्टीरिया को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है. खासतौर पर सेक्स के बाद पेशाब करना मूत्रमार्ग में बैक्टीरिया के विकास को रोकने का एक सरल और प्रभावी तरीका है, जिससे किडनी इन्फेक्शन का जोखिम कम होता है.

कौन से लोग किडनी इन्फेक्शन के ज्यादा जोखिम में होते हैं?

गर्भवती महिलाएं

गर्भवती महिलाएं किडनी इन्फेक्शन के ज्यादा जोखिम में होती हैं, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान उनके मूत्र मार्ग में कई शारीरिक बदलाव होते हैं. गर्भाशय का आकार बढ़ने से यह मूत्रमार्ग पर दबाव डालता है, जिससे पेशाब की रुकावट या मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, हार्मोनल बदलावों के कारण भी गर्भवती महिलाओं में संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती है. गर्भावस्था के दौरान किडनी इन्फेक्शन का समय पर इलाज न होने पर यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से अपनी स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए.

डायबिटीज के मरीज

डायबिटीज के मरीजों में किडनी इन्फेक्शन का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और रक्त में शुगर का स्तर ज्यादा होने से बैक्टीरिया को बढ़ने का अनुकूल माहौल मिलता है. डायबिटीज के कारण पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मूत्रमार्ग में बैक्टीरिया के जमने की संभावना बढ़ जाती है.

इसके अलावा, डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न कर पाना भी इन्फेक्शन का कारण बन सकता है. इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने और किसी भी संक्रमण के लक्षणों को नजरअंदाज न करने की सलाह दी जाती है.

किडनी इन्फेक्शन से जुड़े संभावित जटिलताएं

सेप्सिस का खतरा

किडनी इन्फेक्शन अगर समय पर और सही तरीके से इलाज न किया जाए, तो यह रक्त प्रवाह में फैल सकता है और सेप्सिस का कारण बन सकता है. सेप्सिस एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया अत्यधिक हो जाती है, जिससे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. सेप्सिस के लक्षणों में तेज बुखार, अत्यधिक कमजोरी, तेजी से सांस लेना, और दिल की धड़कन का बढ़ना शामिल हो सकते हैं.

अगर संक्रमण का तेजी से इलाज नहीं होता, तो सेप्सिस जानलेवा साबित हो सकता है. किडनी इन्फेक्शन से होने वाले सेप्सिस के मामलों में इंटेंसिव केयर और एंटीबायोटिक के साथ अन्य मेडिकल सपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए किडनी इन्फेक्शन के लक्षण दिखे तो फिर इसमें लापरवाही बिल्कुल भी नहीं करें.

किडनी फेलियर (गुर्दे की विफलता)

अगर किडनी इन्फेक्शन लंबे समय तक बना रहता है या बार-बार होता है, तो यह किडनी फेलियर (गुर्दे की विफलता) का कारण बन सकता है. किडनी फेलियर तब होता है जब किडनी अपनी रक्त को छानने और अपशिष्ट को बाहर निकालने की क्षमता खो देती हैं. इससे शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. किडनी फेलियर की स्थिति में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है. इसीलिए, किडनी इन्फेक्शन के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर इलाज करवाएं, ताकि किडनी फेलियर जैसी जटिलताओं से बचा जा सके.

निष्कर्ष:

किडनी इन्फेक्शन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. सही समय पर किडनी इन्फेक्शन के लक्षण को पहचान कर उचित उपचार शुरू करने से न केवल किडनी को बचाया जा सकता है, बल्कि दीर्घकालिक जटिलताओं से भी बचाव किया जा सकता है. अपनी सेहत का ध्यान रखने और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराने से आप इस संक्रमण से बचे रह सकते हैं. साफ-सफाई और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अगर कोई लक्षण महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें.

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण

FAQ

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण क्या हैं?

बुखार, पीठ दर्द, पेशाब में जलन.

किडनी इन्फेक्शन का मुख्य कारण क्या है?

ई. कोलाई बैक्टीरिया.

किडनी इन्फेक्शन का निदान कैसे किया जाता है?

पेशाब और खून की जांच.

किडनी इन्फेक्शन का इलाज क्या है?

एंटीबायोटिक्स.

क्या किडनी इन्फेक्शन गंभीर हो सकता है?

हां, समय पर इलाज न होने पर.

किडनी इन्फेक्शन से बचने के उपाय क्या हैं?

साफ-सफाई और अधिक पानी पीना.

किडनी इन्फेक्शन कितने समय में ठीक हो जाता है?

7-14 दिन में.

कौन से लोग ज्यादा जोखिम में होते हैं?

गर्भवती महिलाएं और डायबिटीज मरीज.

क्या किडनी इन्फेक्शन खुद से ठीक हो सकता है?

नहीं, इलाज जरूरी है.

क्या किडनी इन्फेक्शन संक्रामक है?

नहीं, यह व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता.

1 thought on “किडनी इन्फेक्शन: लक्षण, उपचार और रोकथाम के तरीके”

  1. Pingback: अस्थि कैंसर: कारण, लक्षण व प्रभावी उपचार | Bone Cancer Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *