जीविज्ञान और माइक्रोस्कोप: बायोलॉजी की दुनिया में माइक्रोस्कोपिक चित्रण का महत्वपूर्ण स्थान है. माइक्रोस्कोपिक चित्रण (Microscopic Imaging) में अत्यधिक छोटे (माइक्रोस्कोपिक) वस्तुओं और संरचनाओं की तस्वीरें ली जाती हैं. इस प्रक्रिया में माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है. बायोलॉजी में इसका बहुत अधिक महत्व है. चाहे वह सूक्ष्मजैविकी के छोटे-छोटे बैक्टीरिया और वायरस हों, पौधों के अंदरुनी हिस्सों की शारीरिक रचना हो या जंतु विज्ञान के जटिल अंग हों, हर क्षेत्र में चित्रण की अपनी खासियत है.
इस पोस्ट में हम बायोलॉजी की विभिन्न शाखाओं जैसे सूक्ष्मजैविकी, प्लांट एनाटोमी, जंतु विज्ञान, कोशिका विज्ञान आदि से संबंधित माइक्रोस्कोपिक चित्रण और इसकी तकनीकों के बारे में चर्चा करेंगे. आइए इन चित्रणों की विस्तृत दुनिया में प्रवेश करें और जानें कि ये कैसे विज्ञान को समझने में हमारी मदद करते हैं.
माइक्रोस्कोपिक चित्रण के प्रकार
ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी: इस तकनीक में प्रकाश (लाइट) का उपयोग करके अवलोकन किया जाता है. इसमें साधारण ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप और फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोप शामिल होते हैं.
इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी: इसमें इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है, जो प्रकाश की तुलना में बहुत छोटी वेव होती है. इससे बहुत ही हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें मिलती हैं. इसमें स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM) और ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (TEM) शामिल होते हैं.
कॉनफोकल माइक्रोस्कोपी: यह तकनीक ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी का एक उन्नत रूप है, जो फ्लोरोसेंस और लेजर का उपयोग करके तीन-आयामी (3D) चित्रण प्रदान करती है.
यह भी पढ़ें: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: एक उभरता हुआ करियर विकल्प, जानें टॉप 4 नौकरियां
सूक्ष्मजैविकी और माइक्रोस्कोप (Microscopic Imaging in Microbiology)
माइक्रोस्कोपिक व्यू के तहत बैक्टीरिया और वायरस के चित्र देखने पर उनकी अद्भुत और जटिल संरचना का पता चलता है. बैक्टीरिया आमतौर पर गोल (कोकस), छड़ी (बेसिलस) या सर्पिल (स्पाइरिलम) आकार के होते हैं. वायरस की संरचना और भी जटिल होती है, जिसमें वे विविध आकार और संरचनाएं धारण करते हैं, जैसे हेक्सागोनल (हेड और टेल) या गोलाकार. इन चित्रों से वैज्ञानिकों को उनके जीवन चक्र, रोगजनकता और एंटीबायोटिक प्रतिरोध की गहरी समझ मिलती है.
ऐसे दिखते हैं बैक्टीरिया और वायरस
बैक्टीरिया और वायरस, माइक्रोस्कोप के तहत, अपने नग्न आंखों से दिखने वाले रूप से बिल्कुल अलग दिखते हैं. बैक्टीरिया आमतौर पर कुछ माइक्रोमीटर लंबे होते हैं और विविध आकारों में पाए जाते हैं. वायरस, बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं और नैनोमीटर में मापे जाते हैं. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के तहत वायरस की संरचना के सूक्ष्म विवरण जैसे कैप्सिड और जेनेटिक मैटेरियल स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. इन्हें देखना इन सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की कई तकनीकें हैं जो बैक्टीरिया और वायरस के अध्ययन में उपयोग होती हैं। लाइट माइक्रोस्कोपी बैक्टीरिया की सामान्य संरचना को दिखाने के लिए उपयोगी है. फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी विशेष प्रोटीन और कोशिकीय घटकों को हाइलाइट करती है. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, जिसमें ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (SEM) शामिल हैं, जसे वायरस की जटिल संरचनाओं का विस्तृत चित्रण प्रदान करती हैं. क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी ठंडे तापमान पर नमूनों को संरक्षित करके विस्तृत 3D छवियां प्रदर्शित करती है.
माइक्रोस्कोपिक चित्रण का महत्व
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये तकनीकें बैक्टीरिया और वायरस की संरचना और कार्य को समझने में मदद करती हैं, जिससे नई चिकित्सा विधियों और दवाओं का विकास संभव हो पाता है. इन चित्रणों के माध्यम से वैज्ञानिक विभिन्न रोगजनकों के जीवन चक्र, संक्रमण की प्रक्रिया और दवा प्रतिरोध के तंत्र का अध्ययन कर सकते हैं. इसके अलावा, इनसे प्राप्त ज्ञान का उपयोग नई वैक्सीन और उपचार रणनीतियों के विकास में भी होता है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार होता है.
वनस्पति शारीरिक रचना के चित्र (Microscopic Imaging in Plant Anatomy)
माइक्रोस्कोप के तहत पौधों की कोशिकाएं देखने पर उनकी संरचना का बारीकी से अध्ययन किया जा सकता है. पौधों की कोशिकाएं आकार में चौकोर या आयताकार होती हैं और इनमें स्पष्ट कोशिका भित्ति, प्लाज्मा झिल्ली, क्लोरोप्लास्ट, वैक्यूल और न्यूक्लियस जैसे घटक होते हैं. क्लोरोप्लास्ट हरे रंग के होते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होते हैं. ये चित्र पौधों की आंतरिक संरचना और उनके कार्यों को समझने में मदद करते हैं.
माइक्रोस्कोप से ऐसी दिखती हैं पौधों की कोशिकाएं
माइक्रोस्कोप के तहत पौधों की कोशिकाएं चौकोर या आयताकार दिखाई देती हैं, जिनकी मोटी कोशिका भित्ति होती है। ये कोशिकाएं नियमित रूप से व्यवस्थित होती हैं और क्लोरोप्लास्ट, वैक्यूल, और न्यूक्लियस जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रदर्शित करती हैं। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल होता है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। वैक्यूल, जो एक बड़े रिक्त स्थान की तरह दिखता है, जल और पोषक तत्वों को संग्रहित करता है।
ये हैं प्लांट एनाटोमी के माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें
पौधों की कोशिकाओं के अध्ययन के लिए कई माइक्रोस्कोपिक चित्रण तकनीकें उपयोग की जाती हैं. लाइट माइक्रोस्कोपी से कोशिकाओं की सामान्य संरचना का निरीक्षण किया जाता है. फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का उपयोग विशिष्ट प्रोटीन और संरचनाओं को हाइलाइट करने के लिए किया जाता है. कॉन्फोकल माइक्रोस्कोपी हाई रिजॉल्यूशन और 3D इमेजिंग के लिए प्रयोग की जाती है. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जैसे ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (SEM), कोशिकाओं की सूक्ष्म संरचनाओं का विस्तृत चित्रण प्रदान करती हैं.
पादप विज्ञान में ये है महत्व
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें पौधों के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पौधों की कोशिकाओं की संरचना और कार्य को समझने में मदद करती हैं. ये चित्रण पौधों की वृद्धि, विकास और विभिन्न पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने के लिए उपयोगी हैं. माइक्रोस्कोपिक तकनीकों के माध्यम से वैज्ञानिक पौधों के रोगों, आनुवंशिक परिवर्तन और पोषक तत्वों की गतिशीलता का अध्ययन कर सकते हैं, जिससे कृषि और बागवानी में सुधार हो सकता है.
पौधों का स्ट्रक्चर समझने में मिलती है मदद
पौधों की जड़ों, तनों, पत्तियों, और फूलों की शारीरिक रचना के चित्रण से उनकी आंतरिक संरचना और कार्यों को समझा जा सकता है. जड़ें मिट्टी से पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं. तने पौधों को सहारा देते हैं और पोषक तत्वों को जड़ों से पत्तियों तक पहुंचाते हैं. पत्तियां प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाती हैं, जबकि फूल प्रजनन अंग होते हैं, जो परागण और बीज उत्पादन में शामिल होते हैं. इन चित्रणों से पौधों की कार्यात्मक और संरचनात्मक जटिलताओं को समझने में मदद मिलती है.
जंतु शारीरिक रचना का चित्रण (Microscopic Imaging in Animal Anatomy)- Jantu Koshika ka Chitra
माइक्रोस्कोप के तहत जंतु कोशिकाओं के चित्र देखने पर उनकी जटिल संरचना का पता चलता है. जंतु कोशिकाओं में न्यूक्लियस, माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम, एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और गोल्जी बॉडीज जैसे घटक होते हैं. न्यूक्लियस में डीएनए होता है, जो आनुवंशिक जानकारी का वाहक है. माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं. ये चित्रण जंतु कोशिकाओं की संरचना और उनके विभिन्न कार्यों को समझने में मदद करते हैं.
माइक्रोस्कोप से ऐसे दिखती हैं जंतु कोशिकाएं
माइक्रोस्कोप के तहत जंतु कोशिकाएं गोल या अंडाकार दिखाई देती हैं, जिनमें न्यूक्लियस, माइटोकॉन्ड्रिया और अन्य आंतरिक अंग होते हैं. जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती, जिससे वे फ्लेक्सिबल और गतिशील होती हैं. प्लाज्मा झिल्ली के भीतर स्थित ये संरचनाएं, कोशिका के विभिन्न कार्यों को संचालित करती हैं, जैसे ऊर्जा उत्पादन, प्रोटीन संश्लेषण, और आनुवंशिक सामग्री का परिवहन.
जंतु विज्ञान में माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें
जंतु कोशिकाओं के अध्ययन के लिए कई माइक्रोस्कोपिक चित्रण तकनीकें उपयोग की जाती हैं. लाइट माइक्रोस्कोपी सामान्य संरचना को दर्शाने के लिए प्रयोग की जाती है. फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी से विशेष प्रोटीन और अंगों को हाइलाइट किया जाता है. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, जैसे ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (SEM), कोशिकाओं के सूक्ष्म विवरण को दिखाती हैं. कॉन्फोकल माइक्रोस्कोपी हाई रिजॉल्यूशन और 3D इमेजिंग के लिए उपयोग होती है.
एनिमल एनाटॉमी में ये है महत्व
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें जंतु विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. ये तकनीकें जंतु कोशिकाओं की संरचना और कार्य को गहराई से समझने में मदद करती हैं. इन चित्रणों के माध्यम से वैज्ञानिक जंतु कोशिकाओं के जीवन चक्र, कोशिकीय प्रक्रियाएं, और विभिन्न रोगों के तंत्र का अध्ययन कर सकते हैं. इससे न केवल जंतु विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी में भी नए शोध और उपचार की दिशा मिलती है.
शारीरिक रचना की मिलती हैं ये रोचक जानकारियां
कीड़े-मकोड़े, मछलियां और उभयचर जीवों की शारीरिक रचना के चित्रण उनके आंतरिक अंगों और कार्यों को समझने में मदद करते हैं. कीड़े-मकोड़े में संयुक्त पैरों, एंटीना और जटिल आंखों का चित्रण महत्वपूर्ण है. मछलियों में गलफड़े, फिन्स और स्केल्स का चित्रण होता है, जो उनके तैराकी और श्वसन में मदद करते हैं. उभयचर जीवों में फेफड़े, त्वचा और गिल्स का चित्रण होता है, जो उन्हें जल और स्थल दोनों में जीवित रहने में मदद करते हैं. इन चित्रणों से उनकी अनुकूलन क्षमताओं और पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका को समझा जा सकता है.
कोशिका शारीरिक रचना का चित्रण (Microscopic Imaging in Cell Anatomy)
माइक्रोस्कोप के तहत कोशिकाओं के चित्रण से उनकी जटिल संरचना और विभिन्न घटकों को समझा जा सकता है. कोशिकाओं में स्पष्ट रूप से न्यूक्लियस, माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम, एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और गोल्जी बॉडीज दिखाई देते हैं. इन चित्रों से यह समझने में मदद मिलती है कि कोशिका के विभिन्न भाग कैसे कार्य करते हैं और वे जीवन की मौलिक प्रक्रियाओं को कैसे संचालित करते हैं. ये चित्रण वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.
माइक्रोस्कोप से ऐसी दिखती हैं कोशिकाएं
माइक्रोस्कोप के तहत कोशिकाएं आकार और संरचना में भिन्नता हो सकती हैं. जंतु कोशिकाएं आमतौर पर गोल या अंडाकार होती हैं, जबकि पौधों की कोशिकाएं आयताकार या चौकोर होती हैं. कोशिकाओं में स्पष्ट रूप से न्यूक्लियस, माइटोकॉन्ड्रिया और अन्य आंतरिक अंग दिखाई देते हैं. कोशिकाओं की बाहरी झिल्ली उन्हें सीमित करती है और उनके अंदरूनी घटकों को सुरक्षित रखती है. ये चित्रण कोशिकाओं की संरचना और उनके कार्य को स्पष्ट करते हैं.
सेल एनाटोमी में माइक्रोस्कोपिक चित्रण की ये हैं तकनीकें
कोशिका चित्रण के लिए विभिन्न माइक्रोस्कोपिक तकनीकें उपयोग की जाती हैं. लाइट माइक्रोस्कोपी कोशिकाओं की सामान्य संरचना को दिखाती है. फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी विशिष्ट प्रोटीन और कोशिकीय घटकों को हाइलाइट करती है. ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (SEM) कोशिकाओं के सूक्ष्म विवरण को प्रदर्शित करती हैं. कॉन्फोकल माइक्रोस्कोपी हाई रिजॉल्यूशन और 3D इमेजिंग प्रदान करती है. इन तकनीकों से कोशिकाओं का विस्तृत और सटीक अध्ययन संभव होता है.
सेल एनाटोमी में ये है महत्व
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें कोशिका विज्ञान में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. ये तकनीकें कोशिकाओं की संरचना और कार्य को गहराई से समझने में मदद करती हैं. वैज्ञानिक इन चित्रणों का उपयोग करके कोशिकीय प्रक्रियाओं, जैसे प्रोटीन संश्लेषण, ऊर्जा उत्पादन और जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन कर सकते हैं. इससे विभिन्न रोगों के तंत्र को समझने और नई चिकित्सा विधियों के विकास में मदद मिलती है. माइक्रोस्कोपिक चित्रण वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा है.
देखें इन खास चीजों का चित्रण
माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम और न्यूक्लियस के चित्रण कोशिकाओं के कार्यों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. माइटोकॉन्ड्रिया को “कोशिका का पावरहाउस” कहा जाता है, जो ऊर्जा उत्पादन के लिए जिम्मेदार है. राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं और कोशिका के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं. न्यूक्लियस, कोशिका का नियंत्रण केंद्र है, जिसमें आनुवंशिक सामग्री (डीएनए) होती है. इन घटकों के चित्रण से कोशिकाओं की जटिलता और कार्यप्रणाली को गहराई से समझा जा सकता है.
डीएनए और जेनेटिक्स के चित्र (Microscopic Imaging in DNA and Genetics)
माइक्रोस्कोप के तहत डीएनए के चित्र देखने पर उसकी अद्वितीय दोहरी हेलिक्स संरचना का पता चलता है. डीएनए अणु में दो लंबी श्रृंखलाएं होती हैं, जो नाइट्रोजन बेस (एडेनिन, थाइमिन, साइटोसिन, गुआनिन) की जोड़ियों के माध्यम से जुड़ी होती हैं. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जैसी तकनीकों से डीएनए की सूक्ष्म संरचना और संगठन का विस्तृत चित्रण प्राप्त किया जा सकता है, जो जेनेटिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है.
माइक्रोस्कोप से ऐसा दिखता है डीएनए
माइक्रोस्कोप के तहत डीएनए की दोहरी हेलिक्स संरचना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. यह दो समानांतर श्रृंखलाओं से बनी होती है, जो एक दूसरे के चारों ओर कुंडलित होती हैं. प्रत्येक श्रृंखला में न्यूक्लियोटाइड होते हैं, जिनमें एक शर्करा, एक फॉस्फेट समूह और एक नाइट्रोजन बेस शामिल होता है. यह संरचना डीएनए को स्थिरता और लचीलापन प्रदान करती है, जो आनुवंशिक जानकारी के स्थायित्व और सटीक प्रतिकृति के लिए जरूरी है.
DNA और Genetics से संबंधित ये हैं माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें
डीएनए के अध्ययन के लिए कई माइक्रोस्कोपिक चित्रण तकनीकें उपयोग की जाती हैं। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, विशेषकर ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM), डीएनए की दोहरी हेलिक्स संरचना को हाई रिजॉल्यूशन में दिखाती है. क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी डीएनए अणु को उसकी प्राकृतिक स्थिति में संरक्षित करके विस्तृत 3D छवियां उत्पन्न करती है. फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का उपयोग डीएनए को विशिष्ट रंगों से हाइलाइट करने के लिए किया जाता है, जिससे उसकी संरचना और स्थान का अध्ययन संभव होता है.
DNA and Genetics में ये है माइक्रोस्कोपिक चित्रण का महत्व
माइक्रोस्कोपिक चित्रण की तकनीकें डीएनए संरचना और कार्य को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये तकनीकें वैज्ञानिकों को डीएनए की दोहरी हेलिक्स संरचना, नाइट्रोजन बेस की जोड़ियों और जेनेटिक कोड की सटीक जानकारी प्रदान करती हैं. इससे आनुवंशिक विकारों, म्यूटेशन्स, और क्रोमोसोमल असामान्यताओं का अध्ययन संभव होता है. इन चित्रणों के माध्यम से, नए जेनेटिक उपचार और जीन-संपादन तकनीकों का विकास किया जा सकता है, जिससे चिकित्सा विज्ञान में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव है.
यह भी जानें
डीएनए की दोहरी हेलिक्स संरचना नाइट्रोजन बेस की जोड़ियों (ए-टी और सी-जी) से बनी होती है, जो आनुवंशिक जानकारी को संग्रहीत करती है. जेनेटिक कोड, डीएनए के भीतर स्थित ट्रिपल बेस सीक्वेंस, प्रोटीन निर्माण के लिए निर्देश प्रदान करता है. जीन्स, डीएनए के विशिष्ट खंड, प्रोटीन के संश्लेषण के लिए आवश्यक निर्देश देते हैं. क्रोमोसोम्स, डीएनए और प्रोटीन से बने होते हैं, जो कोशिका विभाजन के दौरान आनुवंशिक सामग्री को सही ढंग से वितरित करते हैं. म्यूटेशन्स, डीएनए में बदलाव, विभिन्न आनुवंशिक विकारों और विकासात्मक परिवर्तनों का कारण बन सकते हैं.
निष्कर्ष: जीवविज्ञान और माइक्रोस्कोप
बायोलॉजी के चित्रण न केवल शैक्षणिक उपकरण हैं बल्कि वे हमारे समझने और देखने के तरीके को भी बदलते हैं. सूक्ष्मजैविकी के बैक्टीरिया और वायरस, पौधों की शारीरिक रचना, जंतु विज्ञान के जटिल अंग, कोशिका की संरचना और माइक्रोस्कोपिक चित्रण (इसके बारे में अंग्रेजी में यहां पढ़ें) की तकनीकें हमें प्रकृति के रहस्यों को जानने में मदद करती हैं. इन चित्रणों के माध्यम से, हम विज्ञान को एक नई दृष्टि से देख सकते हैं और उसे अधिक गहराई से समझ सकते हैं। यह पोस्ट इस बात का प्रमाण है कि बायोलॉजी के चित्रण विज्ञान की जटिलताओं को सरल और आकर्षक बनाने में कितने महत्वपूर्ण हैं.
FAQ
माइक्रोस्कोपिक चित्रण क्या है? (What is a microscopic image)
माइक्रोस्कोपिक चित्रण (Microscopic Imaging) में अत्यधिक छोटे (माइक्रोस्कोपिक) वस्तुओं और संरचनाओं की तस्वीरें ली जाती हैं. इस प्रक्रिया में माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है.
सूक्ष्म छवियों को देखने के लिए किस उपकरण का उपयोग किया जाता है? (Which instrument is used to view microscopic images?)
माइक्रोस्कोप के माध्यम से सुक्ष्म चीजों, जैसे जीवों, विशेष अंगों, पौधे, रसायन आदि को देखा जा सकता है, साथ ही उसका विश्लेषण कर अध्ययन किया जा सकता है.
माइटोकांड्रिया का चित्र कैसे बनाएं? (maitrokandriya ka chitra in hindi)
माइक्रोस्कोपिक इमेज देखकर इसे ड्रा किया जा सकता है. दरअसल यह सभी यूकेरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में मौजूद झिल्ली-बद्ध कोशिकांग हैं. ये एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) का उत्पादन करते हैं. एटीपी कोशिका द्वारा उपयोग किया जाने वाला मुख्य ऊर्जा अणु होता है.